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बिहार चुनाव में हार के बाद राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) के अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने संगठन पर बड़ा फैसला लिया है। उन्होंने घोषणा की कि पार्टी की कमान युवा नेताओं प्रिंस राज पासवान और यशराज पासवान को सौंपी जाएगी। उन्होंने चुनाव प्रक्रिया में अनियमितताओं पर भी सवाल उठाए।
पशुपति कुमार पारस (Img: Google)
Patna: बिहार चुनाव में अप्रत्याशित हार झेलने के बाद राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) के अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने संगठन को नई दिशा देने की घोषणा कर दी है। पार्टी की 25वीं स्थापना दिवस पर मीडिया से बात करते हुए उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि अब पार्टी की कमान युवाओं को सौंपी जाएगी। पशुपति पारस ने कहा कि प्रिंस राज पासवान और यशराज पासवान आगे RLJP के कार्यक्रमों और संगठन विस्तार का जिम्मा संभालेंगे।
पशुपति पारस ने कहा कि प्रिंस राज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं और यशराज पासवान उनके साथ मजबूती से जुड़े हुए हैं। “इन दोनों युवा भाइयों के नेतृत्व में पार्टी का भविष्य सुरक्षित है। हमें विश्वास है कि वे पूरे बिहार में संगठन को मजबूत बनाएंगे”। उन्होंने यह भी जोड़ा कि पार्टी आज जिस मुकाम पर है, उसमें कई चुनौतियां और अनुभव शामिल हैं।
स्थापना दिवस पर भावुक होते हुए पारस ने अपने बड़े भाई रामविलास पासवान और छोटे भाई रामचंद्र पासवान को याद किया। उन्होंने कहा, “28 नवंबर 2000 को पार्टी की स्थापना हुई थी। आज 25 वर्ष पूरे हो गए। इस सफर में हमने खुशियां भी देखीं और कठिन दौर भी। अच्छे और बुरे दोनों दिन देखने पर ही संगठन मजबूत होता है।”
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बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर पशुपति पारस ने मौजूदा स्थिति पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि वे जनता के जनादेश का सम्मान करते हैं, लेकिन चुनाव प्रक्रिया में कई तरह की अनियमितताएं सामने आईं। “6 तारीख को चुनाव था और 4 तारीख तक महिलाओं को 10 हजार रुपये बांटे गए। यह आचार संहिता का खुला उल्लंघन था। चुनाव आयोग को इस पर जरूर कार्रवाई करनी चाहिए।” उन्होंने चुनावी हार पर कहा कि राजनीति में जीत-हार लगातार चलती रहती है। पशुपति पारस ने कहा, “हम जीतते भी हैं और कभी हारते भी हैं। लेकिन हार को स्वीकार करने की हिम्मत भी राजनीतिक परिपक्वता का हिस्सा है।”
राबड़ी देवी को आवास खाली करने के नोटिस पर भी उन्होंने टिप्पणी की। पशुपति पारस ने कहा कि बिहार सरकार के पास काफी मकान खाली पड़े हैं और मानवता के नाते पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को जबरन स्थान छोड़ने के लिए मजबूर नहीं करना चाहिए था। उन्होंने लालू प्रसाद यादव की उम्र और स्वास्थ्य का हवाला देते हुए कहा कि संवेदनशीलता दिखाना जरूरी होता है।
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इसी दौरान बिहार में SIR (सीड वोटर सूची) को लेकर विवाद पर भी पारस ने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, “बिहार में SIR कराया गया और 70 लाख मतदाताओं के नाम सूची से गायब कर दिए गए। बिहार के लोगों ने इसे सह लिया, लेकिन बंगाल में ममता बनर्जी इस तरह की कार्रवाई को कभी बर्दाश्त नहीं करेगीं।”