हिंदी
भारत की GDP ने दूसरी तिमाही में 8.2% की शानदार वृद्धि दर्ज की, जो छह तिमाहियों का उच्चतम स्तर है। विनिर्माण क्षेत्र में 9.1% की रिकॉर्ड वृद्धि और मजबूत घरेलू मांग के चलते भारत दुनिया की सबसे तेज बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में कायम है।
Symbolic Photo
New Delhi: अमेरिका की ओर से बढ़ते टैरिफ और वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितताओं के बीच भारत के लिए एक बड़ी राहत और उत्साहजनक खबर आई है। वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में भारतीय अर्थव्यवस्था ने सभी अनुमानों को पछाड़ते हुए 8.2% की मजबूत वृद्धि दर्ज की है। यह लगातार तीसरी तिमाही है जब GDP ग्रोथ उम्मीद से अधिक रही है। पिछली तिमाही में ग्रोथ 7.8% थी, जबकि विश्लेषकों ने दूसरी तिमाही के लिए 7% से 7.5% की रेंज का अनुमान लगाया था। लेकिन वास्तविक आंकड़े इससे काफी बेहतर निकले।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा 28 नवंबर को जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत की GDP छह तिमाहियों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। वैश्विक मंदी की आशंकाओं और बाहरी मोर्चे पर चुनौतियों के बीच, यह प्रदर्शन आर्थिक गतिविधियों की मजबूती को दर्शाता है।
वास्तविक जीडीपी में उल्लेखनीय उछाल
NSO के मुताबिक, स्थिर कीमतों पर दूसरी तिमाही में भारत की वास्तविक GDP ₹48.63 लाख करोड़ रही, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में ₹44.94 लाख करोड़ थी। यानी 8.2% की सालाना वृद्धि। नाममात्र GDP में भी 8.7% की बढ़ोतरी हुई है, जबकि वास्तविक सकल मूल्य वर्धन (GVA) में 8.1% की वृद्धि दर्ज की गई। GVA की मजबूती यह दर्शाती है कि उत्पादन-आधारित क्षेत्रों में वृद्धि स्थिर और व्यापक रही है, जो अर्थव्यवस्था की जड़ मजबूत होने का संकेत है।
विनिर्माण क्षेत्र बना विकास का इंजन
इस तिमाही में सबसे अच्छा प्रदर्शन विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) क्षेत्र ने किया।
उद्योग विशेषज्ञों के मुताबिक चीन+1 सप्लाई चेन रणनीति, बेहतर घरेलू मांग और प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम के प्रभाव से विनिर्माण में जोरदार उछाल देखने को मिला है। यह क्षेत्रात्मक वृद्धि रोजगार और निर्यात दोनों मोर्चों पर सकारात्मक संकेत देती है।
निजी खपत और निवेश में शानदार सुधार
भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती का सबसे बड़ा आधार घरेलू मांग है। इस तिमाही में निजी उपभोग व्यय (PFCE) में 7.9% की वृद्धि हुई, जो पिछले वर्ष के 6.4% से काफी बेहतर है। यह आंकड़ा बताता है कि ग्रामीण और शहरी दोनों बाजारों में खपत बढ़ रही है। निवेश का संकेतक सकल पूंजी निर्माण (GFCF) 7.3% बढ़ा है। यह इंफ्रास्ट्रक्चर और उद्योगों में निजी क्षेत्र द्वारा बढ़ते निवेश को दर्शाता है, जो भविष्य की आर्थिक वृद्धि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
अखिलेश यादव का बड़ा कदम: अब SIR प्रक्रिया पर नजर रखेगी समाजवादी पार्टी, हर जिले में बनाई टीम
सरकारी खर्च में कमी से राजकोषीय अनुशासन मजबूत
एक तरफ निजी और औद्योगिक क्षेत्रों में तेजी देखने को मिली। वहीं, सरकार ने राजकोषीय अनुशासन का पालन करते हुए अपने व्यय को नियंत्रित रखा। नाममात्र आधार पर सरकारी खर्च में 2.7% की गिरावट आई है। यह संकेत देता है कि सरकार आर्थिक वृद्धि को निजी क्षेत्र की मजबूती के सहारे आगे बढ़ाने पर भरोसा कर रही है।
भारतीय अर्थव्यवस्था बनी दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था
लगातार बढ़ती GDP के साथ भारत ने एक बार फिर दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था का दर्जा हासिल रखा है। वित्त वर्ष की पहली दो तिमाहियों का औसत विकास दर लगभग 8% तक पहुंच गई है। इससे पूरे वित्त वर्ष में उच्च वृद्धि दर के अनुमान को और मजबूती मिली है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि विनिर्माण और खपत की यह रफ्तार आगे भी जारी रही, तो भारत आसानी से 7.5–8% की वार्षिक GDP ग्रोथ के लक्ष्य को पार कर सकता है।