एक अक्षर की गलती ने बदली किस्मत: 22 दिन जेल, 17 साल बाद बरी हुए राजवीर, पढ़ें पूरी खबर

मैनपुरी में पुलिस की एक अक्षर की गलती ने 22 दिन जेल में बिताने वाले राजवीर की 17 साल की कानूनी लड़ाई को जन्म दिया। रामबीर की जगह राजवीर का नाम गैंगस्टर एक्ट के मामले में गलती से दर्ज होने के कारण उसे निर्दोष साबित करने में सत्रों वक्त लगा। आखिरकार अदालत ने राजवीर को बरी करते हुए पुलिस अधिकारियों की लापरवाही पर कार्रवाई का आदेश दिया है।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 25 July 2025, 2:57 PM IST
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Mainpuri News: 31 अगस्त 2008 को शहर कोतवाली पुलिस ने नगला भंत निवासी मनोज यादव, प्रवेश यादव, भोला और रामबीर पुत्र मोहर सिंह के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट का मामला दर्ज किया था। मगर केस की फाइल में रामबीर के नाम की जगह गलती से उसके भाई राजवीर का नाम लिख दिया गया। इस एक अक्षर की चूक के कारण राजवीर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया और उसे 22 दिन जेल में बिताने पड़े। यह गलती इतनी गंभीर थी कि 17 साल तक राजवीर को अपने निर्दोष होने का सबूत अदालतों में पेश करना पड़ा।

पुलिस की घोर लापरवाही आई सामने

तत्कालीन इंस्पेक्टर ओमप्रकाश और दन्नाहार थाना के एसआई शिवसागर दीक्षित की लापरवाही सामने आई, जिन्होंने राजवीर के खिलाफ तीन मुकदमे दर्ज कर दिए जबकि असल में वे मुकदमे उसके भाई रामबीर के खिलाफ थे। राजवीर ने अपने अधिवक्ता के जरिए आगरा कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया जिसमें स्पष्ट किया कि वह निर्दोष है और उसके खिलाफ मुकदमा गलत दर्ज हुआ है। कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों को तलब किया, जहां उन्होंने गलती मान ली। फिर भी पुलिस ने चार्जशीट में सुधार न करते हुए राजवीर का नाम शामिल किया, जिससे मामला और लंबा खिंचा।

कोर्ट ने पुलिस की लापरवाही पर कसा शिकंजा

अदालत ने केस की पूरी फाइल का विश्लेषण कर पुलिस की गंभीर लापरवाही और अधिकारियों की अनदेखी को उजागर किया। कोर्ट ने पाया कि न तो तत्कालीन पुलिस अधीक्षक और न ही जिलाधिकारी ने फाइल का सही अवलोकन किया था। उन्होंने बिना जांच-पड़ताल के गैंग चार्ट को मंजूरी दे दी, जिससे एक निर्दोष व्यक्ति को 22 दिन जेल में रहना पड़ा और 17 साल तक अदालतों का चक्कर लगाना पड़ा। न्यायालय ने इस व्यवहार को अत्यंत आपत्तिजनक बताते हुए दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आदेश दिया।

दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई के आदेश

कोर्ट ने निर्देश दिया कि ओमप्रकाश, संजीव कुमार, राधेश्याम समेत अन्य दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच कराकर सख्त कार्रवाई की जाए। एसपी मैनपुरी को आदेश दिया गया है कि वे अपनी स्तर से दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करें और कोर्ट को उसकी सूचना दें। यह फैसला पुलिस की गलतियों और कानूनी प्रक्रिया में मिली लापरवाही के खिलाफ एक बड़ा संदेश है।

मुकदमे की वर्तमान स्थिति

राजवीर बरी हो चुके हैं, लेकिन गैंगस्टर एक्ट के इस मामले में बाकी आरोपियों प्रवेश यादव, भोला और मनोज यादव के खिलाफ बहस की अगली तारीख 25 जुलाई तय हुई है। वहीं, रामवीर के खिलाफ अलग से जांच चल रही है। राजवीर के अधिवक्ता विनोद कुमार यादव ने बताया कि यह फैसला न्यायिक प्रक्रिया की जीत है और निर्दोष व्यक्ति की जान बचाने में मददगार साबित होगा।

Location : 
  • Mainpuri

Published : 
  • 25 July 2025, 2:57 PM IST