

भीलवाड़ा में त्योहारों के आते ही नकली घी का कारोबार जोरों पर है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग और सीएमएचओ आंखें मूंदे बैठे हैं। बाजारों में खुलेआम ‘ज़हर’ बिक रहा है, और जिम्मेदार अधिकारी ‘गहरी नींद’ में हैं। मिलावटी घी का सेवन लिवर, हृदय और आंतों पर बुरा असर डालता है।
मिलावटी घी का कारोबार
Bhilwara: राजस्थान की वस्त्रनगरी इन दिनों मिलावट के 'त्योहारी कारोबार' का केंद्र बनी हुई है। खासतौर पर त्योहारों से ठीक पहले नकली घी का धंधा पूरे शहर में सिर उठाए खड़ा है, लेकिन इसे रोकने वाला कोई नहीं दिख रहा। स्वास्थ्य विभाग और सीएमएचओ की चुप्पी ने जनता को हैरत में डाल दिया है कि क्या ये 'सेहत के प्रहरी' वाकई सो रहे हैं या जानबूझकर आंखें मूंदे बैठे हैं?
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, त्योहार आते ही बाजारों में घी की मांग आसमान छूने लगती है और इसी बढ़ती मांग का फायदा उठाते हैं मिलावटखोर। वे सस्ते रसायनों और तेलों से तैयार नकली घी को ब्रांडेड कंपनियों के डिब्बों में भरकर बाजार में उतार देते हैं। उपभोक्ता इसे असली घी समझकर घर ले जाते हैं, लेकिन यह उनके स्वास्थ्य के लिए सीधा ज़हर साबित हो रहा है।
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जानकार सूत्र बताते हैं कि शहर के अनेक क्षेत्रों, विशेषकर औद्योगिक और बाहरी इलाकों में यह मिलावटी घी बड़ी मात्रा में तैयार किया जा रहा है। इसमें हानिकारक केमिकल्स, ट्रांस फैट और सस्ते तेलों का उपयोग किया जाता है, जिससे यह देखने में असली घी जैसा लगता है, परन्तु शरीर को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है।
स्वास्थ्य विभाग की निष्क्रियता अब सवालों के घेरे में है। महीनों से किसी भी बड़ी छापेमारी या सैंपलिंग की खबर नहीं है। त्योहारों के मौसम में भी जब ऐसे मामलों की आशंका सबसे ज्यादा होती है, तब भी विभाग ने कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की है। इससे मिलावटखोरों के हौसले और बुलंद हो गए हैं।
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ऐसे में जनता अब पूछ रही है कि जब प्रशासन को सब कुछ मालूम है, तब क्यों कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा? क्या अधिकारियों की ओर से केवल त्योहारों के बाद ही कुछ ‘दिखावटी’ कार्रवाई की जाएगी?
कुछ स्थानीय व्यापारी खुद नकली घी की खेप में शामिल बताए जा रहे हैं। वे कम दाम पर अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में ग्राहकों को जानलेवा उत्पाद बेच रहे हैं। छोटे दुकानदारों को भी यह घी थोक में उपलब्ध करवाया जा रहा है।
चिकित्सकों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि मिलावटी घी का सेवन लिवर, हृदय और आंतों पर बुरा असर डालता है। यह विशेष रूप से बच्चों और बुजुर्गों के लिए जानलेवा हो सकता है।