महंगाई पर लगेगा ब्रेक! GST दरों में बदलाव से 0.75% तक घट सकती है खुदरा मुद्रास्फीति – SBI रिसर्च रिपोर्ट

SBI रिसर्च के अनुसार, GST दरों में व्यापक बदलाव से अगले दो वर्षों में महंगाई पर असर दिखेगा। आवश्यक वस्तुओं पर टैक्स में कटौती से आम जनता को राहत मिलेगी। रिपोर्ट के मुताबिक, खुदरा मुद्रास्फीति में 0.75% तक गिरावट संभव है।

Post Published By: सौम्या सिंह
Updated : 6 September 2025, 4:30 PM IST
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New Delhi: भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए राहत की खबर आई है। हाल ही में संपन्न 56वीं जीएसटी काउंसिल बैठक में जीएसटी ढांचे में बड़ा बदलाव किया गया है। एसबीआई रिसर्च की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, इन बदलावों के चलते खुदरा मुद्रास्फीति यानी रिटेल इनफ्लेशन में 0.65% से 0.75% तक की गिरावट देखने को मिल सकती है।

महंगाई पर पड़ेगा असर

काउंसिल ने मौजूदा चार-स्लैब जीएसटी सिस्टम (5%, 12%, 18%, 28%) को सरल बनाते हुए अब केवल दो प्रमुख स्लैब - 5% और 18%  लागू करने की सिफारिश की है। इसके अतिरिक्त कुछ लग्जरी और हानिकारक वस्तुओं के लिए 40% की विशेष कर दर तय की गई है। ये नई दरें तंबाकू और संबंधित उत्पादों को छोड़कर 22 सितंबर 2025 से प्रभावी होंगी।

GST Reform

GST दरों में व्यापक बदलाव

एसबीआई रिसर्च के मुताबिक, 453 वस्तुओं की जीएसटी दरों में बदलाव किया गया है, जिनमें से 413 वस्तुओं पर टैक्स घटाया गया है। खास बात यह है कि करीब 295 आवश्यक वस्तुओं पर अब 12% के बजाय केवल 5% या शून्य जीएसटी लगेगा। इससे आम जनता को खाद्य और घरेलू वस्तुओं पर सीधा फायदा मिलेगा। रिसर्च के अनुसार, इस बदलाव से खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति में 0.25% से 0.30% तक की कमी आ सकती है।

उपभोक्ताओं को मिल सकती है बड़ी राहत

इसके अलावा, सेवाओं पर दरों को युक्तिसंगत बनाने के चलते अन्य वस्तुओं और सेवाओं की महंगाई में 0.40% से 0.45% तक की गिरावट संभव है। रिपोर्ट के अनुसार, सेवा क्षेत्र में उपभोक्ताओं को करीब 50% लाभ सीधे तौर पर मिल सकता है।

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एसबीआई ने यह भी बताया कि प्रभावी भारांश औसत जीएसटी दर जो 2017 में 14.4% थी, वह पहले ही घटकर 11.6% हो चुकी है। दरों के इस ताजा बदलाव के बाद यह औसत और गिरकर 9.5% तक पहुंच सकती है।

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इस पूरे बदलाव को GST 2.0 के रूप में देखा जा रहा है, जो न केवल उपभोक्ताओं को राहत देगा, बल्कि कर प्रणाली को सरल बनाकर कर संग्रह को भी अधिक प्रभावी बना सकता है। अमेरिका के साथ व्यापार टैरिफ तनाव के बीच यह कदम भारत की घरेलू अर्थव्यवस्था के लिए एक रणनीतिक चाल मानी जा रही है।

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