8th Pay Commission फिर सुर्खियों में, यूनियन की मांगें तेज, क्या सरकार टाइमलाइन और पेंशन सुधार पर देगी सहमति ?

आठवें वेतन आयोग को लेकर कर्मचारियों और पेंशनर्स में भ्रम बढ़ रहा है. यूनियन ने PM मोदी को पत्र लिखकर ToR में टाइमलाइन जोड़ने, पेंशन संशोधन और OPS बहाली की मांग की है. कर्मचारियों का कहना है कि सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू हों, ताकि असमंजस खत्म हो।

Post Published By: Sapna Srivastava
Updated : 20 November 2025, 10:04 AM IST
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New Delhi: आठवें पे कमीशन को लेकर केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स के बीच कन्फ्यूजन बढ़ रहा है। जनवरी में केंद्रीय कैबिनेट की मंज़ूरी और अक्टूबर में कमीशन के बनने के बाद, सैलरी और पेंशन में बदलावों को लेकर क्लैरिटी की उम्मीद थी। हालांकि, टर्म्स ऑफ़ रेफरेंस (ToR) में टाइमलाइन न होने से कर्मचारियों में कन्फ्यूजन पैदा हो गया है। इस बीच, कर्मचारियों की एक बड़ी यूनियन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेटर लिखकर ToR में बदलाव की मांग की है।

पेंशन रिविज़न और OPS को फिर से लागू करने की मांग तेज़

कर्मचारियों ने मांग की है कि केंद्र सरकार 8वें पे कमीशन में पेंशन रिविज़न को साफ़ तौर पर शामिल करे। यूनियनों ने पुराने पेंशन सिस्टम (OPS) को फिर से लागू करने, NPS/UPS का पूरा रिव्यू करने और रिटायरमेंट बेनिफिट्स में बदलाव करने की मांग की है।

यूनियन यह भी चाहते हैं कि ऑटोनॉमस बॉडीज़ के कर्मचारियों और ग्रामीण डाक कर्मचारियों को भी कमीशन के दायरे में शामिल किया जाए ताकि उन्हें भी बराबर बेनिफिट्स मिल सकें। उन्होंने पेंशनर्स के लिए तुरंत 20 परसेंट की अंतरिम राहत की भी मांग की है।

टाइमलाइन न होने से कन्फ्यूजन बढ़ गया है।

कन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लॉइज एंड वर्कर्स ने सवाल उठाया है कि ToR में 8th Pay Commission को लागू करने का टाइमफ्रेम क्यों नहीं बताया गया है। उनका कहना है कि इससे एम्प्लॉइज और पेंशनर्स में कन्फ्यूजन पैदा हो रहा है।

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पिछले सभी Pay Commission रेगुलर इंटरवल पर लागू किए गए थे:

  • 4th CPC: 01-01-1986
  • 5th CPC: 01-01-1996
  • 6th CPC: 01-01-2006
  • 7th CPC: 01-01-2016

इसके अनुसार, 8th Pay Commission को 1 जनवरी, 2026 से लागू किया जाना चाहिए। यूनियन का तर्क है कि अगर ToR में यह साफ तौर पर बताया जाए, तो कन्फ्यूजन दूर हो जाएगा।

टाइमलाइन क्यों जरूरी है?

यूनियन का कहना है कि इस फैसले से लाखों एम्प्लॉइज और पेंशनर्स के भविष्य पर असर पड़ेगा। डेडलाइन न होने से यह चिंता बढ़ जाती है कि कमीशन की सिफारिशें समय पर लागू नहीं होंगी। कर्मचारियों का यह भी कहना है कि बढ़ती महंगाई ने सैलरी और पेंशन में बदलाव को बहुत ज़रूरी बना दिया है, जिससे कमीशन की सिफारिशों को जल्दी लागू करना बहुत ज़रूरी हो गया है।

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18 महीने के अंदर सिफारिशें जमा करनी होंगी

सरकार ने कमीशन को अपनी सिफारिशें जमा करने के लिए 18 महीने का समय दिया है। हालांकि, यूनियन चाहती है कि सरकार यह पक्का करे कि सिफारिशें समय पर लागू हों। इसके लिए, उसने मांग की है कि ToR में साफ़ निर्देश शामिल किए जाएं।

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  • 20 November 2025, 10:04 AM IST