

एक अफसर ने ऐसा कांड कर दिया, पूरे बिहार में उसी की चर्चा हो रही है। यह अधिकारी मंच पर मंत्री और वरिष्ठ अधिकारियों के सामने शराब पीकर खड़े हो गए। वह मंच पर झूम रहे थे। उसके बाद जिलाधिकारी सावन कुमार ने ऐसा एक्शन लिया। शराब पीने वाले अधिकारी के होश उड़ गए।
पुलिस की गिरफ्त में मत्स्य पदाधिकारी शंभू कुमार
Bihar News: सुपौल जिले में आयोजित सरकारी 'मछुआरा दिवस' कार्यक्रम उस वक्त विवादों में घिर गया, जब जिला मत्स्य पदाधिकारी शंभू कुमार को मंच पर शराब के नशे में उपस्थित होने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। यह घटना न केवल स्थानीय प्रशासन के लिए शर्मिंदगी का कारण बनी, बल्कि बिहार में लागू शराबबंदी कानून की सख्ती और उस पर अमल को लेकर भी गंभीर सवाल खड़े कर गई।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, कार्यक्रम में बिहार सरकार के पीएचईडी मंत्री नीरज कुमार सिंह बबलू, जिलाधिकारी (डीएम) सावन कुमार, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी और कई जनप्रतिनिधि मौजूद थे। कार्यक्रम जब शुरू हुआ, तो मंच पर जिला मत्स्य पदाधिकारी शंभू कुमार की गतिविधियां संदिग्ध लगने लगी।
डीएम को कैसे पता चला?
डीएम ने जब उनसे बातचीत की तो उनके मुंह से शराब की तेज गंध महसूस हुई। इस पर प्रशासन ने मौके पर ही ब्रेथ एनालाइजर जांच कराई, जिसमें शराब पीने की पुष्टि हो गई। इसके तुरंत बाद उन्हें हिरासत में लिया गया और उत्पाद विभाग के कार्यालय ले जाया गया।
ब्लड और यूरीन सैंपल लिए गए
उत्पाद निरीक्षक अशोक कुमार ने बताया कि शंभू कुमार को विभागीय कार्यालय में लाकर उनके ब्लड और यूरीन सैंपल लिए गए। जांच की प्रक्रिया पूरी करने के बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। इस कार्रवाई ने यह स्पष्ट कर दिया कि सरकार शराबबंदी कानून को लेकर किसी तरह की ढील नहीं बरतना चाहती, चाहे आरोपी कोई भी हो।
पहले भी पकड़े जा चुके है शराब पीते हुए
यह पहली बार नहीं है जब शंभू कुमार शराब पीने के मामले में पकड़े गए हों। मार्च 2024 में भी उन्हें इंडो-नेपाल बॉर्डर के पास शराब के नशे में पाया गया था, जहां मौके पर जुर्माना भरने के बाद उन्हें छोड़ दिया गया था। उस वक्त उन्होंने अपनी गलती स्वीकार की थी। हालांकि, इस बार उन्होंने शराब पीने से इनकार किया, लेकिन ब्रेथ एनालाइजर रिपोर्ट और सैंपल जांच उनके दावे के विपरीत सच्चाई बयां कर रहे हैं।
सरकारी मंच पर शर्मिंदगी
शासकीय मंच पर एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा इस तरह का गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार सरकार की साख को नुकसान पहुंचाने वाला माना जा रहा है। अधिकारियों के बीच इस घटना को लेकर नाराजगी है, वहीं मंत्री और जिलाधिकारी की मौजूदगी में हुए इस कृत्य ने पूरे कार्यक्रम की गरिमा को तार-तार कर दिया। वहीं, शंभू कुमार की गिरफ्तारी ने एक बार फिर यह मुद्दा गरमा दिया है कि क्या बिहार में शराबबंदी सही तरीके से लागू हो पा रही है। विपक्ष इसे कानून व्यवस्था की विफलता बता रहा है तो सरकार इसे कानून के प्रति 'जीरो टॉलरेंस' नीति का उदाहरण कह रही है।
बिहार में शराबबंदी, फिर भी शराब माफिया सक्रिय
गौरतलब है कि बिहार में अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे नशामुक्त समाज की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम बताया था। हालांकि, कानून के कड़े प्रावधानों के बावजूद राज्य में अवैध शराब का कारोबार थमा नहीं है। गांवों और सीमावर्ती इलाकों में देसी शराब बनाने और बेचने का गुप्त धंधा अभी भी जारी है। विपक्ष अक्सर सरकार पर यह आरोप लगाता रहा है कि शराबबंदी केवल कागजों तक सीमित रह गई है। उनका कहना है कि इससे अवैध शराब का कारोबार और जहरीली शराब से होने वाली मौतों में वृद्धि हुई है। इस कानून ने पुलिस और उत्पाद विभाग को अधिक शक्ति तो दी, लेकिन पूरी तरह नियंत्रण पाने में प्रशासन अब तक नाकाम रहा है।