

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले अपनी ‘वोट अधिकार यात्रा’ शुरू की है। जिसका उद्देश्य मतदाताओं को उनके वोट के अधिकार के प्रति जागरूक करना है। इस यात्रा के माध्यम से राहुल गांधी बीजेपी और चुनाव आयोग पर आरोप लगा रहे हैं कि पिछले चुनावों में वोटों की चोरी हुई है। यात्रा 23 जिलों से होकर गुजरेगी।
राहुल की बिहार में 'वोट अधिकार यात्रा'
Bihar: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने एक बार फिर अपनी नई यात्रा पर चल पड़े हैं। इस बार राहुल ने बिहार में अपनी 'वोट अधिकार यात्रा' शुरू की है, जो राज्य के सियासी परिदृश्य को बदलने की कोशिश करती नजर आ रही है। यह यात्रा महागठबंधन के नेताओं के साथ राहुल गांधी द्वारा निकाली गई तीसरी यात्रा है, जो भारत जोड़ो और न्याय यात्रा के बाद बिहार विधानसभा चुनाव के पहले शुरू की गई है। राहुल का उद्देश्य बिहार के मतदाताओं को उनके वोट के अधिकार के प्रति जागरूक करना है, और इस यात्रा में वह चुनाव आयोग और बीजेपी पर आरोप लगा रहे हैं कि पिछले चुनावों में वोटों की चोरी हुई है।
23 जिलों में करेंगे यात्रा
राहुल की यात्रा में महागठबंधन के प्रमुख दल, आरजेडी और कांग्रेस के अन्य नेताओं के अलावा स्थानीय कार्यकर्ता भी शामिल हैं। यात्रा का मार्ग 23 जिलों से होकर गुजरता है, जिसमें कुल 50 विधानसभा सीटें शामिल हैं। इन सीटों पर 2020 में महागठबंधन ने 23 सीटों पर विजय हासिल की थी। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य 2024 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए सीटों का आंकड़ा बढ़ाना और बिहार में एनडीए की सत्ता को चुनौती देना है। राहुल गांधी ने सासाराम से इस यात्रा की शुरुआत की। जो दलितों का गढ़ रहा है और यहां से कांग्रेस के नेता बाबू जगजीवन राम और मीरा कुमार सांसद रह चुके हैं।
वोट अधिकार यात्रा
वोट अधिकार यात्रा का राजनीतिक महत्व
राहुल गांधी की यह यात्रा महज एक चुनावी प्रचार अभियान नहीं, बल्कि एक सियासी संदेश भी है। बिहार के विभिन्न जिलों में इस यात्रा के माध्यम से राहुल गांधी चुनावी मंच से चुनाव आयोग की निष्पक्षता और बीजेपी के चुनावी दावों पर सवाल उठा रहे हैं। यात्रा के दौरान राहुल ने आरोप लगाया कि पिछले कुछ चुनावों में वोटों की चोरी हुई है, विशेषकर महाराष्ट्र और लोकसभा चुनाव में। उनका कहना है कि भाजपा और चुनाव आयोग दोनों मिलकर लोकतांत्रिक प्रक्रिया में दखल दे रहे हैं। राहुल की यह यात्रा बिहार के राजनीतिक समीकरण को फिर से आकार देने की कोशिश करती है। 2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने केवल 19 सीटों पर जीत हासिल की थी, लेकिन अब राहुल गांधी के नेतृत्व में यह पार्टी आगामी चुनावों में अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस का प्रयास है कि वह अपनी पुरानी सीटों को वापस हासिल करे और साथ ही नए इलाके में भी प्रभावी बने।
राहुल गांधी की यात्रा का बिहार चुनाव में असर
यह यात्रा 23 जिलों से होकर गुजरती है, जो कुल 50 विधानसभा सीटों को कवर करती है। इन सीटों पर 2020 में महागठबंधन ने 23 सीटें जीती थीं। जिसमें कांग्रेस ने 8 सीटों पर जीत दर्ज की थी। राहुल गांधी की कोशिश 2024 के विधानसभा चुनाव में इन आंकड़ों को बदलने की है। उनका लक्ष्य कांग्रेस के लिए अधिक से अधिक सीटों पर उम्मीदवार खड़ा करना है, ताकि पार्टी बिहार की सियासत में फिर से अपनी स्थिति मजबूत कर सके। राहुल गांधी का यह कदम विशेष रूप से उस स्थिति में महत्वपूर्ण है जब बिहार में भाजपा और जेडीयू का गठबंधन मजबूत स्थिति में है। कांग्रेस और आरजेडी के साथ मिलकर महागठबंधन इस बार सत्ता परिवर्तन का सपना देख रहा है और राहुल गांधी इस यात्रा के माध्यम से राज्य में बदलाव की उम्मीद जगा रहे हैं।
क्या बिहार में कांग्रेस की स्थिति बदल पाएगी?
राहुल गांधी की ये यात्रा बिहार की सियासत में नए समीकरण को जन्म दे सकती है। कांग्रेस के लिए यह बड़ा सवाल है कि क्या वोट अधिकार यात्रा बिहार में महागठबंधन के राजनीतिक गणित को बदल पाएगी। 2020 में महागठबंधन को जीत तो मिली, लेकिन कांग्रेस की स्थिति अन्य दलों के मुकाबले कमजोर रही थी। अब राहुल गांधी का उद्देश्य पार्टी के पुराने आधार को पुनर्जीवित करना और नई जमीन पर फिर से अपनी राजनीतिक पैठ बनाना है। इस यात्रा के जरिए राहुल गांधी बिहार में अपने पुराने वोट बैंक दलितों और मुस्लिमों को फिर से अपने साथ जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। खासकर सासाराम जैसे क्षेत्रों में उनकी यात्रा का उद्देश्य इन वर्गों को यह बताना है कि कांग्रेस उनके हक के लिए लड़ रही है। इसके साथ ही राहुल गांधी ने बीजेपी और चुनाव आयोग पर आरोप लगाया है कि वे चुनावी प्रक्रिया में गड़बड़ी कर रहे हैं, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ है।