

बिहार में SIR प्रक्रिया के तहत वोटर लिस्ट से 65 लाख नाम हटाए गए, जिससे ‘वोट चोरी’ का आरोप उठा। चुनाव आयोग ने इसे वैध प्रशासनिक प्रक्रिया बताया है। सुप्रीम कोर्ट ने पारदर्शिता के लिए सूची सार्वजनिक करने का आदेश दिया।
बिहार में 65 लाख वोटर लिस्ट से बाहर
Patna: हाल ही में बिहार में Special Intensive Revision (SIR) के दौरान वोटर लिस्ट से करीब 65 लाख नाम हटाए जाने के बाद “वोट चोरी” का आरोप फिर से उठ खड़ा हुआ है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे गरीबों का वोट चुराने की कोशिश करार दिया, जबकि चुनाव आयोग (ECI) ने इसे मार्गदर्शित और प्रमाणित प्रक्रिया बताया। इस रिपोर्ट का मकसद है इन हटाए गए नामों को चुनावी प्रक्रिया की एक नजर से देखना है कि क्या यह वोटर एक्सक्लूज़न की ओर इशारा है या एक दुर्लभ लेकिन उपयुक्त प्रशासनिक सुधार प्रक्रिया?
Election Commission of India (ECI) ने 1 अगस्त 2025 को SIR का ड्राफ्ट रोल जारी किया, जिसमें बिहार की कुल मतदाता संख्या 7.89 करोड़ थी, लेकिन ड्राफ्ट में यह संख्या घटकर 7.24 करोड़ रह गई, यानि लगभग 65.6 लाख नाम हटाए गए। इनमें से 22.34 लाख नाम मृत्यु के आधार पर, 36.28 लाख स्थायी रूप से स्थानांतरित या अनुपस्थित और 7.01 लाख डुप्लीकेट नाम थे।
एक्टिव मूड में इमरान मसूद: सांसद ने दिल्ली में बुलाई बैठक, “वोट चोरी” के खिलाफ प्रदर्शन की घोषणा
बाद में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि इन हटाए गए नामों की जिला और बूथ-वार सूची, साथ ही हटाने का कारण (मृत्यु, प्रवास, डुप्लीकेट आदि) ऑनलाइन और स्थानीय स्तर पर प्रकाशित किया जाए। बिहार के CEO ने 17 अगस्त 2025 तक यह डेटा जिला स्तर की वेबसाइटों पर अपलोड कर दिया।
राहुल गांधी इस प्रक्रिया को “गरीबों का वोट चुराने की साजिश” के रूप में देखते हैं, यह आरोप ECI के तरीकों पर भारी सवाल खड़े करता है। ECI ने हालांकि सुप्रीम कोर्ट को लिखित आश्वासन दिया कि ड्राफ्ट रोल से किसी नाम को हटाने से पहले आवेदक को नोटिस देना और सुनवाई सुनिश्चित करना अनिवार्य है।
राजनीतिक दलों का कई जगह विरोध देखने को मिला NCP की सुप्रिया सुले ने पारदर्शिता की मांग करते हुए संसद में चर्चा की वकालत की। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने Association for Democratic Reforms द्वारा दर्ज PIL पर सुनवाई करते हुए ECI को हटाए गए नामों की सूची सार्वजनिक करने का आदेश दिया।
परिवार की नैया डुबोना: तेज प्रताप यादव ने बदला रूख, बिहार चुनाव में क्या बिगड़ेगा RJD का वोट बैंक?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में करीब 8.3% मतदाताओं को ड्राफ्ट रोल से हटाया गया और कई ऐसे लोकसभा क्षेत्रों रहे जहाँ जीत का अंतर महज़ 13 हजार से 60 हजार वोटों तक था। यदि वहां 1–1.5 लाख वोटर हटाए गए हैं, तो यह परिवर्तन जीत-हार में सिद्धांततः निर्णायक हो सकता है।
ECI का कहना है कि ड्राफ्ट रोल अंतिम नहीं है, और कोई बदलाव बिना उचित प्रक्रिया से नहीं होगा यानी लोगों को जोड़ने, हटाने या सुधार करने का मौका 1 अगस्त से 1 सितंबर तक रहेगा और अंतिम सूची 30 सितंबर तक प्रकाशित हो जाएगी।