

तेज प्रताप यादव को RJD प्रमुख लालू परिवार से छह साल के लिए निष्कासित किया गया। जिसके बाद उन्होंने पांच छोटे दलों के साथ गठबंधन बनाया और महुआ से निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरने का एलान किया। जिसके बाद यादव परिवार की चुनावी मजबूती पर सवाल खड़े हुए।
परिवार से निष्कासित तेज प्रताप यादव ने महुआ में जंगी मोर्चा खोला
Patna: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के कैंपेन की गाथा में अब एक नया मोड़ आया है। तेज प्रताप यादव ने जिसने खुद को परिवार और RJD से पूरी तरह अलग घोषित कर दिया है। इस कदम ने ‘डूबिया परिवार की नैया’ जैसे विवादास्पद नाम से एक नए राजनीतिक ड्रामे को जन्म दिया।
निष्कासन और विवाद का शुरुआती दौर
लालू प्रसाद यादव ने अपने बड़े पुत्र तेज प्रताप यादव को गैर‑जिम्मेदाराना व्यवहार और पारिवारिक मूल्यों के विरुद्ध आचरण के आरोप में छह साल के लिए RJD और परिवार से निष्कासित कर दिया। यह कदम तब उठाया गया जब तेज प्रताप ने सोशल मीडिया पर अनुष्का यादव के साथ 12 साल पुरानी अपनी निजी संबंधों की जानकारी साझा की, जिसने पारिवारिक और राजनीतिक तहलका मचा दिया।
राजनीतिक स्वायत्तता की ओर रुख
तेज प्रताप ने RJD के टिकट न मिलने पर भी हार न मानते हुए महुआ विधानसभा क्षेत्र से स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने की घोषणा की। चाहे निर्दलीय हो या गठबंधन के माध्यम से अपने अभियान "टीम तेज प्रताप यादव" के तहत उन्होंने आउटरीच अभियान भी शुरू किया।
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गठबंधन का गठन और भारतीय राजनीति में नई भूमिका
तेज प्रताप ने पांच छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन बनाया, जिसे उन्होंने बिहार की राजनैतिक व्यवस्था को चुनौती देने वाला नया राजनीतिक मंच कहा। इसमें प्रमुख साझेदार वंचित विकास इंसान पार्टी (VVIP) भी शामिल है, जिसका नेतृत्व प्रवीण निशाद (हेलीकॉप्टर बाबा) करते हैं। इस गठबंधन में उन्होंने कई उम्मीदवारों को नामित भी किया जैसे घोसी विधानसभा सीट से जय प्रकाश यादव (गांधी यादव) और शहपुर से मदन यादव यह सब टीम तेज प्रताप की ताकत दिखाता है।
राजनीतिक और सामाजिक असर
विश्लेषक इसे केवल निजी विवाद नहीं, बल्कि RJD और यादव वोट बैंक के लिए बड़ा राजनीतिक खतरा मानते हैं। तेज प्रताप के इस अलग रुख से परिवार विरोधी तस्वीर सामने आई और RJD की साख पर सवाल खड़े हुए। विश्लेषण यह भी है कि यह कदम विशेषकर युवाओं में सहानुभूति उत्पन्न कर सकता है, जो पारंपरिक राजनीति से उब चुके हैं।
RJD में चुहलबाजी और भविष्य की राह
RJD ने इस पूरे प्रकरण का जिम्मेदाराना व्यवहार बुलाकर खुद को जन न्याय का प्रतीक बताया। लेकिन राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि विधायकी पर भी संकट मंडरा रहा है क्योंकि पार्टी ने तेज प्रताप को छह साल के लिए निष्कासित किया है, जिसका मतलब है कि वे RJD सिंबल पर चुनाव नहीं लड़ सकते। कुछ विपक्षी दल विधायकी रद्द करने के लिए दावे भी कर रहे हैं।