

लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने हाल ही में वोट चोरी को लेकर एक बड़ा अभियान शुरू किया है। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा अब एक विशाल जन आंदोलन का रूप ले चुका है, जिसमें लाखों लोग शामिल हो रहे हैं। राहुल गांधी की अपील के बाद 15 लाख से ज्यादा लोगों ने समर्थन में सर्टिफिकेट डाउनलोड किया और 10 लाख से अधिक लोगों ने मिस्ड कॉल के जरिए अपना समर्थन जताया।
वोट चोरी (सोर्स फोटो)
New Delhi: लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने हाल ही में वोट चोरी को लेकर एक बड़ा अभियान शुरू किया है। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा अब एक विशाल जन आंदोलन का रूप ले चुका है, जिसमें लाखों लोग शामिल हो रहे हैं। राहुल गांधी की अपील के बाद 15 लाख से ज्यादा लोगों ने समर्थन में सर्टिफिकेट डाउनलोड किया और 10 लाख से अधिक लोगों ने मिस्ड कॉल के जरिए अपना समर्थन जताया। उन्होंने कांग्रेस द्वारा लॉन्च किए गए वेब पोर्टल पर लोगों से जुड़ने और वोट चोरी के खिलाफ आवाज उठाने की अपील की है। राहुल गांधी ने बीजेपी और निर्वाचन आयोग पर चुनावों में कथित धांधली और मिलावट के आरोप लगाए हैं, जिसे उन्होंने लोकतंत्र की नींव पर हमला बताया।
इसी कड़ी में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के तेजस्वी यादव ने भी चुनाव आयोग और बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने बताया कि बीजेपी के इशारे पर वोट की चोरी हो रही है और इसे ‘मोदी का करिश्मा’ नहीं बल्कि वोट की डकैती कहा। तेजस्वी ने मुजफ्फरपुर की बीजेपी मेयर और उनके रिश्तेदारों के पास दो-दो वोटर आईडी कार्ड होने का दावा किया है। साथ ही, उन्होंने गुजरात के लोगों के बिहार में वोटर बनने की बात उठाई और चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए।
हालांकि, राहुल गांधी और विपक्ष के नेताओं के इस आक्रामक रुख के बावजूद जनता में इस मुद्दे को लेकर उतनी तीव्र प्रतिक्रिया नहीं दिख रही जितनी उम्मीद की जा रही थी। वोट चोरी के आरोपों को लेकर जितनी तीखी बहस सोशल मीडिया और विपक्षी दलों के बीच हो रही है, उतनी सड़क पर सक्रियता नहीं दिखाई दे रही। 2जी, CWG, कोयला घोटाले जैसे बड़े मामलों में जनता का जो गुस्सा था, वह इस वोट चोरी के मुद्दे पर नजर नहीं आ रहा।
इसका एक बड़ा कारण कांग्रेस की पुरानी छवि है। जनता के मन में कांग्रेस को लेकर भ्रष्टाचार के आरोप अब भी बने हुए हैं, जो बोफोर्स, 2जी, CWG और कोयला घोटाले जैसे मामलों से जुड़ी हैं। दूसरी ओर, बीजेपी पिछले दस साल से सत्ता में है और विपक्ष के इस ‘वोट चोरी’ अभियान को गंभीरता से नहीं ले रही। राहुल गांधी के आरोप पहले भी उठाए जा चुके हैं, लेकिन इस बार भी जनता में वह उत्साह नहीं दिख रहा।
बीजेपी के प्रवक्ता अमित मालवीय ने राहुल गांधी पर आरोप लगाया है कि उनके पास वोटर सूची में गड़बड़ी के ठोस सबूत नहीं हैं। उन्होंने चुनाव आयोग की ओर से राहुल गांधी से डिक्लेरेशन देने की मांग को भी शेयर किया और कहा कि अगर राहुल सही हैं तो उन्हें अपने आरोपों का प्रमाण देना चाहिए। अमित मालवीय ने राहुल के आरोपों को ‘राजनीतिक नाटक’ बताया, जिसका उद्देश्य चुनाव आयोग को बदनाम करना है।
इस पूरी राजनीति के बीच सवाल उठता है — आखिर ‘पप्पू’ कौन? क्या वाकई जनता को वोट चोरी के नाम पर बेवकूफ बनाया जा रहा है? क्या ये आरोप सच्चाई पर आधारित हैं या फिर केवल राजनीतिक सियासत का हिस्सा हैं? राहुल गांधी और विपक्ष इसे लोकतंत्र बचाने की लड़ाई मानते हैं, जबकि बीजेपी इसे विपक्ष की सुनियोजित साजिश करार देती है।
वास्तव में वोटर सूची और चुनाव प्रक्रिया में त्रुटियां हो सकती हैं, यह कोई नई बात नहीं। चुनाव आयोग भी स्वीकार करता है कि इतनी बड़ी प्रक्रिया में गलतियां होना स्वाभाविक हैं। ऐसे में विपक्ष के आरोपों को गंभीरता से लेना जरूरी है, लेकिन साथ ही बिना ठोस सबूत के आरोप लगाना लोकतंत्र के लिए नुकसानदायक भी हो सकता है।
कुल मिलाकर, वोट चोरी का मुद्दा राजनीति के केंद्र में जरूर है, लेकिन जनता का समर्थन सीमित दिख रहा है। कांग्रेस और राहुल गांधी को चाहिए कि वे अपने आरोपों के साथ ठोस प्रमाण भी पेश करें ताकि जनता में विश्वास बना रहे और लोकतंत्र मजबूत हो। तब तक ‘पप्पू’ कौन? यह सवाल बना रहेगा — क्या ये सच्चाई है या सिर्फ राजनीतिक ड्रामा?