भारत-रूस मिलिट्री एजेंडा: पुतिन की दिल्ली यात्रा में Su-57 और S-400 बना चर्चा का केंद्र; जानें सबकुछ

रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने नई दिल्ली में 23वें इंडिया-रूस समिट में हिस्सा लिया। बैठक में S-400 और S-500 एयर-डिफेंस सिस्टम, Su-57 फाइटर जेट और ब्रह्मोस मिसाइल प्रोजेक्ट पर चर्चा हुई। यह दौरा भारत की मल्टी-अलाइनमेंट रणनीति और डिफेंस मॉडर्नाइजेशन को मजबूत करने में अहम माना जा रहा है।

Updated : 5 December 2025, 11:24 AM IST
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New Delhi: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 23वें इंडिया-रूस समिट के लिए नई दिल्ली में हैं। इस समिट में डिफेंस कोऑपरेशन एजेंडा सबसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है। चर्चा में S-400 फॉलो-ऑन, S-500 एयर-डिफेंस सिस्टम, Su-57 फाइटर जेट और अन्य प्रमुख रक्षा परियोजनाएं शामिल हैं। पुतिन का यह दौरा अमेरिका द्वारा भारत के लिए जैवलिन और एक्सकैलिबर हथियारों की बिक्री की मंजूरी के कुछ ही हफ्तों बाद हो रहा है, जो भारत के मिलिट्री मॉडर्नाइजेशन में नई परत जोड़ता है।

भारत-रूस डिफेंस साझेदारी की नई दिशा

एक और महत्वपूर्ण विकास में, भारत ने अपने 24 MH-60R 'सीहॉक' नेवल हेलीकॉप्टरों के बेड़े के लिए अमेरिका के साथ $946 मिलियन की सस्टेनेंस डील भी साइन की है। इस सौदे का उद्देश्य नेवल एविएशन के मेंटेनेंस, स्पेयर पार्ट्स, ट्रेनिंग और टेक्निकल सपोर्ट को सुनिश्चित करना है।

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डिफेंस मोर्चे पर, दोनों देशों के अधिकारी कई प्रोजेक्ट्स का रिव्यू करेंगे। इसमें एयर-डिफेंस सिस्टम, फाइटर जेट मॉडर्नाइजेशन और नेवल कोऑपरेशन शामिल हैं। S-400 ट्रायम्फ लॉन्ग-रेंज एयर-डिफेंस सिस्टम के फॉलो-ऑन खरीद पर मुख्य फोकस है। अक्टूबर में भारत ने S-400 के लिए मिसाइलों की नई खेप की मंजूरी दी थी, जिनकी रेंज 120 से 380 किलोमीटर तक है। इसके अलावा, भारत इस सिस्टम का और एडवांस्ड वर्जन S-500 प्रोमेथियस खरीदने की योजना बना रहा है।

भारत और रूस Su-57 फाइटर जेट के कम से कम दो स्क्वाड्रन खरीदने पर भी बातचीत कर सकते हैं। रूस के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने पहले कहा था कि Su-57 दुनिया का सबसे उन्नत फाइटर जेट है और यह एजेंडा में शामिल होगा। इसके अलावा भारत अपने Su-30MKI फाइटर को अपग्रेड करना चाहता है और ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल की रेंज बढ़ाने के लिए बाइलेटरल एग्रीमेंट को पक्का करना चाहता है।

Su-57, S-500 और ब्रह्मोस अपग्रेड पर चर्चा 

राजनीतिक और जियोपॉलिटिकल परिप्रेक्ष्य में यह दौरा काफी महत्वपूर्ण है। यूक्रेन युद्ध और पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगाए गए बैन ने वैश्विक सप्लाई चेन को प्रभावित किया है। चीन पर रूस की बढ़ती निर्भरता और अमेरिका के साथ भारत के रिश्तों में हालिया तनाव ने भारत की मल्टी-अलाइनमेंट डिप्लोमेसी को और अहम बना दिया है। भारत रूस के साथ लंबे समय तक डिफेंस कंटिन्यूटी बनाए रखना चाहता है, साथ ही अमेरिका के साथ एडवांस्ड टेक्नोलॉजी पार्टनरशिप भी बढ़ाना चाहता है।

S-400 and Su-57

S-400 और Su-57 (फोटो सोर्स- गूगल)

भारत-रूस डिफेंस साझेदारी लगभग छह दशक पुरानी है और यह भारत की मिलिट्री इन्वेंट्री और इंडस्ट्रियल कैपेसिटी को आकार देने में महत्वपूर्ण रही है। 1960 के दशक से शुरू हुए सोवियत प्लेटफॉर्म्स जैसे MiG-21, Su-7, T-72 टैंक और S-300/400 रेजिमेंट ने भारत की सैन्य ताकत को मजबूत किया। ब्रह्मोस मिसाइल प्रोजेक्ट भारत और रूस के बीच सबसे सफल बाइलेटरल तकनीकी सहयोग का उदाहरण है।

इस दौरे के दौरान भारत और रूस के बीच कई नए प्रोजेक्ट्स पर भी चर्चा होने की संभावना है। इसमें 48N6 मिसाइल वेरिएंट, स्प्रट लाइट टैंक और पैंटसिर एयर-डिफेंस सिस्टम शामिल हो सकते हैं। लीज पर ली गई अकुला-क्लास न्यूक्लियर-पावर्ड सबमरीन की डिलीवरी भी लंबित है, जिसे अब 2028 तक मिलने की उम्मीद है।

भारत की रणनीति साफ़ है: रूस के पुराने प्लेटफॉर्म्स पर भरोसा बनाए रखते हुए, अमेरिका, फ्रांस और इज़राइल जैसे देशों से नई तकनीक और हथियार आयात करना। उदाहरण के तौर पर, अमेरिका से $946 मिलियन का MH-60R हेलीकॉप्टर सस्टेनेंस पैकेज और जैवलिन व एक्सकैलिबर मिसाइलों की खरीद भारत की सुरक्षा क्षमताओं को और मजबूत करती है।

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भारत की यह मल्टी-अलाइनमेंट स्ट्रैटेजी उसकी स्ट्रेटेजिक ऑटोनॉमी को भी दर्शाती है। यह दृष्टिकोण सुनिश्चित करता है कि भारत अपनी सुरक्षा जरूरतों के लिए किसी द्विपक्षीय दबाव में नहीं है और अपने ग्लोबल जुड़ाव को पूरी तरह नियंत्रित कर सकता है।

कुल मिलाकर, पुतिन का यह दौरा न केवल भारत-रूस डिफेंस सहयोग को आगे बढ़ाएगा, बल्कि भारत की वैश्विक रणनीतिक स्थिति और सैन्य क्षमता को संतुलित और मजबूत बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

Location : 
  • New Delhi

Published : 
  • 5 December 2025, 11:24 AM IST