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लोकसभा में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने चुनाव सुधार पर चर्चा के दौरान चुनाव आयोग की निष्पक्षता, EVM की विश्वसनीयता, इलेक्टोरल बॉन्ड की पारदर्शिता, यूपी में SIR के दौरान बीएलओ की मौतों और मतदाता सूची में धांधली जैसे मुद्दों पर तीखे सवाल उठाए। पढ़ें पूरी रिपोर्ट
लोकसभा में सपा प्रमुख Akhihlesh Yadav की पांच बड़ी बाते
New Delhi: लोकसभा में चुनाव सुधार पर चर्चा के दौरान समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सरकार और चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर कई गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने न सिर्फ चुनाव आयोग की पारदर्शिता को चुनौती दी, बल्कि ईवीएम, इलेक्टोरल बॉन्ड, SIR की स्थिति और मतदाता सूची में धांधली जैसे मुद्दों को भी मजबूती से उठाया। यहां पढ़ें उनकी पांच बड़ी बातें।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि जब तक चुनाव आयोग खुद में सुधार नहीं करता, तब तक कोई भी चुनाव सुधार बेकार है। उन्होंने कहा कि आयोग को निर्भीक होकर काम करना चाहिए और सरकार के एजेंट की तरह नहीं दिखना चाहिए।
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सपा प्रमुख ने कहा कि ईवीएम पर लोगों का भरोसा कम होता जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि देश में फिर से बैलेट पेपर से चुनाव कराए जाने चाहिए। उनका आरोप था कि लॉजिस्टिक और तकनीकी खामियों का इस्तेमाल कर “वोट चोरी” और “वोट डकैती” जैसी घटनाएँ बढ़ी हैं।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इलेक्टोरल बॉन्ड को सबसे बड़ा चुनावी खेल बताया। उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था क्षेत्रीय दलों को कमजोर करने का सबसे आसान हथियार साबित हुई है। उनकी टिप्पणी पर सदन में जोरदार ठहाके लगे- “सबसे ज्यादा बॉन्ड सत्ताधारी पार्टी को मिले, दूसरे नंबर पर कांग्रेस को। हम लोगों का भी कुछ ख्याल रखिए!” उन्होंने कहा कि यदि यही व्यवस्था जारी रही तो क्षेत्रीय दल संसाधनों की दौड़ में कहीं नहीं टिक पाएंगे।
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अखिलेश यादव ने यूपी में चल रहे SIR (मतदाता सूची विशेष पुनरीक्षण) के दौरान बीएलओ और कर्मचारियों की हुई मौतों का मुद्दा जोरदार तरीके से उठाया। उन्होंने कहा कि
उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग ने ट्रेनिंग देने का दावा किया था, लेकिन अधिकांश बीएलओ को सही ट्रेनिंग तक नहीं मिली। सपा ने मृतकों के परिवार को एक करोड़ मुआवजा और सरकारी नौकरी देने की मांग की।
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अखिलेश यादव ने सदन में सूची दिखाकर दावा किया कि यूपी में जान-बूझकर हजारों मतदाताओं के नाम काटे गए। उन्होंने कहा-“वोट पड़े नहीं, उससे पहले ही 15,000 वोट काट दिए गए। विधानसभा चुनावों में भी सरकार ने यही किया था।” उन्होंने इसे लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ बताया और कहा कि इस तरह चुनाव की विश्वसनीयता खत्म हो रही है।