

ईडी ने बिहार समेत झारखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के कई ठिकानों पर छापेमारी की। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की खास रिपोर्ट
मनी लॉन्ड्रिंग की जांच में छापेमारी
नई दिल्ली/बिहार: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बिहार कांस्टेबल भर्ती 2023 में हुए पेपर लीक और उससे जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बड़ी कार्रवाई की। ईडी ने बिहार समेत झारखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के कई ठिकानों पर छापेमारी की। छापेमारी की यह कार्रवाई बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) की एफआईआर के आधार पर की गई। जिसमें यह संदेह जताया गया कि घोटाले में संलिप्त एजेंटों ने अवैध रूप से भारी रकम अर्जित की और उसे संपत्ति में बदलकर मनी लॉन्ड्रिंग की।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के अनुसार पटना, नालंदा (बिहार), रांची (झारखंड), लखनऊ (यूपी) और कोलकाता (प. बंगाल) में कम से कम एक दर्जन ठिकानों पर ईडी की टीमें पहुंची। इन स्थानों पर एजेंटों, पेपर लीक सिंडिकेट के सदस्यों और उनसे जुड़ी निजी कंपनियों के परिसरों में तलाशी ली गई। कोलकाता की एक प्रिंटिंग प्रेस को भी ईडी ने कवर किया है। जहां कथित तौर पर परीक्षा के पेपर छपे थे। जांच में यह बात सामने आई कि इस घोटाले के पीछे वही मास्टरमाइंड है, जो 2024 के बहुचर्चित NEET-UG पेपर लीक घोटाले में भी शामिल था।
क्या है मामला?
बिहार पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा 1 अक्टूबर 2023 को राज्य के 37 जिलों में 529 परीक्षा केंद्रों पर आयोजित की गई थी। 21391 पदों के लिए यह परीक्षा थी। जिसमें करीब 18 लाख उम्मीदवार शामिल हुए थे। लेकिन परीक्षा के तुरंत बाद पेपर लीक की खबरें सामने आई और भारी विरोध के बीच 3 अक्टूबर को CSBC (केंद्रीय चयन पर्षद-कांस्टेबल) ने परीक्षा रद्द कर दी थी।
किस तरह हुआ पेपर लीक?
EOU की जांच में पाया गया कि परीक्षा का पेपर छपवाने की जिम्मेदारी कोलकाता स्थित कैलटेक्स मल्टीवेंचर प्राइवेट लिमिटेड को दी गई थी। लेकिन यह कंपनी एक "शेल कंपनी" थी- सिर्फ एक कमरे में चलने वाली, बिना किसी कर्मचारी के। इस कंपनी ने असल में छपाई का काम ब्लेसिंग सिक्योर प्रेस प्राइवेट लिमिटेड को आउटसोर्स किया, जिसके निदेशक कौशिक कर की पत्नी थीं।
बिहार EOU की रिपोर्ट के अनुसार कर और उसकी सहयोगी कंपनियों ने प्रश्नपत्रों को बिहार के सरकारी खजाने में जमा कराने के बजाय पटना स्थित एक प्राइवेट लॉजिस्टिक गोदाम में रखवाया, जहां वे छह दिन तक बिना सुरक्षा व्यवस्था के पड़े रहे। इसी दौरान कर ने संजीव मुखिया गिरोह से संपर्क किया और प्रश्नपत्रों की कॉपियां अवैध रूप से वितरित कर दी गईं।
संजीव मुखिया गिरोह और उसकी भूमिका
घोटाले के मास्टरमाइंड संजीव मुखिया, जो नालंदा जिले के एक सरकारी कॉलेज में तकनीकी सहायक रह चुका है, फिलहाल न्यायिक हिरासत में है। बिहार पुलिस ने इस मामले में अब तक सात लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें तीन आरोपी पश्चिम बंगाल से हैं। गिरोह के सदस्य परीक्षा से पहले ही कई उम्मीदवारों से संपर्क में थे और मोटी रकम लेकर उन्हें प्रश्नपत्र उपलब्ध करवा रहे थे।
बना मनी लॉन्ड्रिंग का मामला
ईडी को संदेह है कि घोटाले में जुटाई गई राशि को निजी संपत्तियों में निवेश किया गया, जिसके चलते यह मामला धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत आता है। इस संदर्भ में रांची के बरियातू इलाके में जूनियर इंजीनियर सिकंदर यादवेंदु के घर पर भी छापेमारी हुई, जो पहले से मामले में आरोपी हैं और फिलहाल जमानत पर बाहर हैं।
कौशिक कर पहले भी संदिग्ध गतिविधियों में रहा शामिल
ईओयू की रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि कौशिक कर 2019 में यूपीपीएससी और 2022 में अरुणाचल पीएससी की परीक्षाओं में भी पेपर लीक मामलों से जुड़ा हुआ था। उसकी कंपनी ने पेपर के परिवहन और हैंडलिंग में SOPs का घोर उल्लंघन किया।
NEET-UG पेपर लीक से कनेक्शन
पता चला है कि बिहार कांस्टेबल परीक्षा का यह गिरोह ही 2024 के NEET-UG घोटाले में भी शामिल रहा है। 5 मई 2024 को हुई इस परीक्षा में 23 लाख से अधिक छात्र शामिल हुए थे, जिसमें पेपर लीक के आरोपों ने राष्ट्रीय स्तर पर हड़कंप मचा दिया। मामला अब CBI के हवाले किया गया है।