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सर्दियों का दिसंबर से मार्च महीना बाघों के प्रजनन के लिए बहुत अनुकूल होता है। बाघ इस समय मिलन करते हैं। इस दौरान यह जीव बहुत ही संवेदनशील हो जाता है। एकांत पसंद करता है। ऐसे समय में भूलकर भी उनके इलाके में जाना सीधे मौत को दावत देना हो सकता है।
कॉर्बेट प्रशासन ने ग्रामीणों को जंगल न जाने की दी हिदायत
Nainital: सर्दियों के आते ही उत्तराखंड के जंगलों में मानव–वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं लगातार बढ़ने लगती हैं। रामनगर स्थित कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व और उसके आसपास के क्षेत्रों में बाघ, तेंदुए और अन्य जंगली जानवर सर्द मौसम में अधिक आक्रामक हो जाते हैं। इसी को देखते हुए कॉर्बेट प्रशासन ने ग्रामीणों से जंगलों में लकड़ी, चारा या अन्य जरूरतों के लिए अकेले न जाने की अपील की है।
जानकारी के अनुसार प्रशासन की ओर से स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि इस समय जंगलों में गतिविधियां कम से कम रखें और सुरक्षा को प्राथमिकता दें। वन विभाग ने बताया कि जंगलों में इस वक़्त मेटिंग पीरियड भी होता है और ठंड में जानवरों के व्यवहार में बदलाव आने के कारण बाघ और तेंदुए मानव बस्तियों के करीब तक आ सकते हैं। ऐसे में किसी भी अप्रत्याशित घटना की आशंका बढ़ जाती है।
कॉर्बेट क्षेत्र के अधिकारी लगातार गांवों में जागरूकता अभियान चला रहे हैं, जिसमें लोगों को समझाया जा रहा है कि जीवन किसी भी जोखिम से बढ़कर है और कुछ समय तक जंगलों में प्रवेश से परहेज करना ही सुरक्षित विकल्प है।
शीतकाल में जंगल न जाने की अपील करता वनकर्मी
कॉर्बेट प्रशासन ने बताया कि लेकिन इसके बावजूद कई ग्रामीण अपनी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए जंगलों की ओर जा रहे हैं। गरीब परिवारों के पास खाना पकाने और सर्दी से बचने के लिए लकड़ी जुटाने का कोई दूसरा साधन नहीं है। इसी मजबूरी के चलते लोग अपनी जान जोखिम में डालकर जंगलों में प्रवेश कर रहे हैं। कई गांवों में महिलाओं और बुजुर्गों के अकेले जंगल जाने की भी घटनाएं सामने आ रही हैं, जिससे खतरा और बढ़ जाता है।
कॉर्बेट प्रशासन का कहना है कि ग्रामीणों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए वैकल्पिक व्यवस्थाओं पर भी काम चल रहा है। स्थानीय पुलिस, वन विभाग और ग्राम पंचायतें मिलकर ग्रामीणों को सुरक्षित विकल्प उपलब्ध कराने का प्रयास कर रही हैं। इसके साथ ही, टीमों को हाई-अलर्ट पर रखा गया है ताकि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत कार्रवाई की जा सके।
एसडीओ सीटीआर अमित ग्वासाकोटि ने बताया कि शीतकाल का समय वन्यजीवों के लिए अतिरिक्त सक्रिय रहने का होता है। इस दौरान उनके इलाके में जाना सीधे मौत को दावत देना है इसलिये ग्रामीणों से अपील की है कि वे सुरक्षा निर्देशों का पालन करें और अनावश्यक रूप से जंगलों की ओर न जाएं। सर्दियों का यह समय वन्यजीवों के लिए संवेदनशील होता है, और थोड़ी सी लापरवाही भी बड़े हादसे का कारण बन सकती है।