Bihar Assembly Election: बिहार में चुनाव से पहले वोटर लिस्ट पर बवाल क्यों? चुनाव आयोग अब आया सामने

बिहार में विधान सभा चुनाव की तारीख नजदीक आते ही राजनीतिक पार्टियों ने अपने विपक्षियों को नये -नए मुद्दों पर घेरना शुरु कर दिया है।

Post Published By: Jay Chauhan
Updated : 2 July 2025, 1:25 PM IST
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पटना: बिहार में आगामी विधान सभा चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। सभी राजनीतिक दलों ने अपनी कमर कस ली है। इस बार का चुनाव दिलचस्प होने वाला है क्योंकि इस बार कई दल चुनाव मैदान में उतरने वाले हैं। लेकिन चुनावी सरगर्मी के बीच वोटर लिस्ट पुनरीक्षण को लेकर भी सियासी घमासान मचा हुआ है। जिस पर चुनाव आयोग ने अपना मंशा जाहिर कर दी है।

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार 243 निर्वाचन क्षेत्रों के लिए अक्टूबर या नवंबर 2025 में होने निर्धारित हैं। चुनाव के माहौल के बीच राजनीतिक पार्टियां एक दूसरे पर हमलावर हो गई हैं।

दरअसल नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने बिहार चुनाव को लेकर धांधली की आशंका जतायी थी। जिस पर चुनाव आयोग ने चुनाव से पूर्व वोटर लिस्ट पुनरीक्षण का कार्य शुरु किया।

चुनाव आयोग ने 22 साल पुरानी वोटर लिस्ट को बेस माना और इस, अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग की मंशा पर सवाल उठाए हैं।

तेजस्वी ने कहा कि अब चुनाव आयोग का 25 दिन में प्रक्रिया पूरी करने की बात कहना संदेह उत्पन्न कर रहा है. उन्होंने इस पूरी कवायद को गरीब और वंचित-शोषित मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटाने की साजिश बताया और सवाल किया कि यह प्रक्रिया केवल बिहार में ही क्यों?

इसकी तैयारी राजनीतिक दलों ने काफी पहले से ही शुरू कर दी थी। बिहार का मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ एनडीए और विपक्षी महागठबंधन के बीच होना है लेकिन इस बार का बिहार चुनाव काफी रोचक होने जा रहा है क्योंकि इस बार के चुनाव में दोनों मुख्य गठबंधनों के अलावा भी कई राजनीतिक दल मैदान में ताल ठोकने वाले हैं। इनमें से कुछ दल तो बिल्कुल नए हैं।

वोटर लिस्ट परीक्षण पर उठे राजनीतिक घमासान को लेकर चुनाव आयोग ने अपना रुख साफ कर दिया है। चुनाव आयोग ने कहा कि वोटर लिस्ट पुनरीक्षण एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है।

आयोग ने कहा है कि यह पुनरीक्षण और सत्यापन इसलिए किया जा रहा है, जिससे योग्य लोग ही मतदाता सूची में जगह पा सकें। यह पिछले 75 वर्षों से होता आ रहा है। 2003 की मतदाता सूची अपनी वेबसाइट पर अपलोड करने को लेकर उठते सवालों पर भी आयोग ने अपना रुख साफ किया । चुनाव आयोग ने कहा है कि बिहार में आखिरी बार मतदाता सूची का पुनरीक्षण और सत्यापन 2003 में किया गया था।

चुनाव आयोग ने कहा कि बिहार के करीब 4.96 करोड़ मतदाताओं को पुनरीक्षण और सत्यापन के दौरान को दस्तावेज नहीं देना होगा। 2003 की जो मतदाता सूची आयोग की वेबसाइट पर अपलोड की गई है, उसमें 4 करोड़ 96 लाख मतदाताओं के नाम हैं।
चुनाव आयोग ने यह भी कहा है कि अगर किसी व्यक्ति का नाम 2003 की वोटर लिस्ट में नहीं है, तो वह भी अपने माता-पिता के लिए किसी अन्य दस्तावेज की बजाय उस मतदाता सूची के संबंधित अंश का उपयोग कर सकता है। वही पर्याप्त होगा।
चुनाव आयोग ने एक जनवरी 2003 की क्वालिफिकेशन डेट वाले मतदाताओं को पुनरीक्षण और सत्यापन के समय कोई दस्तावेज नहीं देना है।

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