

देहरादून के डोईवाला के लच्छीवाला रेंज में वन्य जीव संरक्षण सप्ताह की शुरुआत हुई। वन रेंजर मेधावी कीर्ति ने बताया कि इसका उद्देश्य जैव विविधता के महत्व को समझाना और संरक्षण प्रयासों में आमजन की भागीदारी को बढ़ावा देना है।
प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता जगाने की पहल
Dehradun: लच्छीवाला रेंज में वन्य जीव संरक्षण सप्ताह का आरंभ गांधी जयंती के अवसर पर हुआ। कार्यक्रम का उद्देश्य न केवल भारत की समृद्ध जैव विविधता के प्रति लोगों को जागरूक करना है, बल्कि वन्य जीवों के संरक्षण हेतु सामूहिक भागीदारी को भी प्रोत्साहित करना है। वन क्षेत्राधिकारी (रेंजर) मेधावी कीर्ति ने बताया कि वन्य जीव हमारे पारिस्थितिक संतुलन का मूल आधार हैं। इनका संरक्षण न केवल प्रकृति की रक्षा है, बल्कि मानवता के हित में भी है।
इस सप्ताह का मुख्य फोकस वन्यजीवों को प्रभावित करने वाले खतरों पर रहा, जिनमें शामिल हैं:
1. प्राकृतिक आवास का विनाश
2. अवैध शिकार और व्यापार
3. जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव
4. मानव-वन्यजीव संघर्ष
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इन सभी चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए रेंजर मेधावी कीर्ति ने स्थानीय नागरिकों और पर्यटकों से अपील की कि वे वन्य जीवों की सुरक्षा को अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझें।
यह आयोजन महात्मा गांधी की 156वीं जयंती के दिन आरंभ किया गया। गांधी जी का अहिंसा का सिद्धांत न केवल इंसानों के लिए था, बल्कि सभी जीवों के प्रति करुणा और दया की भावना को भी दर्शाता था।
प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता जगाने की पहल
रेंजर मेधावी कीर्ति ने कहा, गांधी जयंती के दिन शुरू हुआ यह संरक्षण सप्ताह लोगों को यह संदेश देता है कि जैसे हम मानव अधिकारों की बात करते हैं, वैसे ही प्रकृति और जीवों के भी अधिकार हैं।
सप्ताह के पहले दिन नेचर्स पार्क में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें रेंज स्टाफ के अलावा वहां मौजूद पर्यटकों और स्थानीय युवाओं ने भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।
मुख्य गतिविधियां रहीं
1. प्रकृति व वन्यजीवों पर चित्र प्रदर्शनी
2. जंगल सफारी में जागरूकता सत्र
3. वन्यजीवों पर आधारित क्विज़ प्रतियोगिता
4. वृक्षारोपण अभियान और क्लीन ग्रीन पार्क ड्राइव
बच्चों और युवाओं में इन गतिविधियों को लेकर विशेष उत्साह देखा गया।
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रेंजर कीर्ति ने अपने संदेश में कहा कि सरकार और वन विभाग अकेले इस कार्य को सफल नहीं बना सकते। जब तक आम जनता इसमें सक्रिय भागीदारी नहीं करेगी, तब तक संरक्षण के प्रयास अधूरे रहेंगे। उन्होंने ग्रामीणों और स्थानीय संगठनों से अपील की कि वे जंगलों के आसपास हो रही अवैध गतिविधियों की सूचना तुरंत विभाग को दें।