Uttarakhand: पलायन की मार झेल रहा देहरादून, सरकार की रिवर्स पलायन की कोशिशें नाकाम

देहरादून में पलायन और रिवर्स पलायन रोकने की सरकार की कोशिशों के बाबजूद भी पलायन अनवरत जारी है। ग्रामीण क्षेत्रों में पलायन रुका या नहीं इसके आंकड़े विभाग के पास नहीं हैं।

Post Published By: Jay Chauhan
Updated : 23 August 2025, 12:15 PM IST
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देहरादून: सरकार की रिवर्स पलायन की कोशिश नाकाम होती दिख रही हैं। सरकार ने कालसी विकासखंड में 35 क्लस्टर बनाकर बुनियादी सुविधाएं देने का लक्ष्य था। लेकिन पलायन को रोकना नाकाफी साबित हो रहा है।

जानकारी के अनुसार सरकार के पास पलायन के आंकड़े मौजूद नहीं हैं। पलायन आयोग की रिपोर्ट बताती है कि देहरादून में भी पलायन की समस्या है जिसका मुख्य कारण बुनियादी सुविधाओं की कमी है। रिवर्स पलायन के बावजूद विभाग के पास वापस लौटे लोगों का कोई आंकड़ा नहीं है।

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जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में पलायन रुका या नहीं इसके आंकड़े विभाग के पास नहीं हैं। ऐसे में दूसरे प्रदेशों में गए और अपने गांव को छोड़कर राज्य के अन्य शहरों से वापस अपने गांव-घर लौटने वाले लोगों का के बारे में अधिकारियों को कोई जानकारी नहीं है। ऐसे में रिवर्स पलायन के जरिये गांवों में पलायन रोकने की मुहिम बेनतीजा साबित हो रही है।

पलायन की ये हैं बड़ी वजह

प्रदेश में पलायन आयोग ने वर्ष 2018 से 2022 तक गांवों में सर्वे के जरिये विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर शासन को सौंपेंते हुए खुलासा किया कि पहाड़ी क्षेत्र ही नहीं, बल्कि देहरादून भी पलायन की मार झेल रहा है। वहीं, रिपोर्ट में पलायन की मुख्य वजह बुनियादी सुविधाओं का अभाव, स्वास्थ्य, शिक्षा, बेरोजगारी व रोजगार उपलब्ध नहीं होना गिनाया गया।

35 गांवों में बनाया कलस्टर

देहरादून के कालसी के 35 गांवों में कलस्टर बनाकर रिवर्स पलायन शुरू किया गया है। वहीं, पलायन से प्रभावित गांवों में वित्तीय वर्ष 2022-23 व 2023-24 में पालीहाउस, आंगनबाड़ी केंद्र, गोपालन इकाई, मुर्गीपालन, स्कूलों में स्मार्ट क्लास, सिंचाई के लिए नहरों जीर्णीधार, सिंचाई टैंक, खेल मैदान व मछली पालन आदि विकास कार्यों को किया जा रहा है।

लेकिन, विभाग के पास शहर और अन्य प्रदेशों में अपने गांव-घर को लौटने और रोजगार प्राप्त करने वाले व्यक्तियों का कोई आंकड़ा नहीं है। ऐसे में रिवर्स पलायन के जरिये गांवों में पलायन को रोकने की कसरत बेनतीजा साबित होती दिख रही है।

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वहीं गांवों में कलस्टर बनाकर बुनियादी सुविधाओं के जरिये पलायन रोकने के दावे किए गए। लेकिन, हकीकत इससे जुदा है। विभाग को नहीं पता कि इन पलायन खत्म कर कितने व्यक्ति गांव वापस आकर रोजगार कर रहे हैं।

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