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हल्द्वानी के कुणाल और असम की सोनिका की प्रेम कहानी दूरी और शारीरिक चुनौतियों पर विजय पाकर विवाह के रूप में मंज़िल तक पहुंची। मूक-बधिर होने के बावजूद दोनों का मिलन भावनाओं की अनोखी भाषा का उदाहरण बना। इसी समारोह में शिमला की शांति और मनोज की कहानी भी लोगों के लिए प्रेरणा बनी।
मूक-बधिर कुणाल और सोनिका ने रचाई शादी
Nainital: कहते हैं कि भगवान हर किसी के लिए किसी न किसी को जरूर बनाता है और जब दो दिलों का मिलन तय हो तो दूरी भाषा या किसी भी तरह की चुनौती मायने नहीं रखती। ऐसी ही प्रेरणादायक प्रेम कहानी है हल्द्वानी के कुणाल और असम की सोनिका की, जिनकी मुलाकात और किस्मत ने उनकी पूरी जिंदगी बदल दी। सुनने और बोलने में अक्षम होने के बावजूद दोनों ने भावनाओं की अनोखी भाषा में एक-दूसरे को पहचाना और जीवनभर साथ निभाने का फैसला किया।
हल्द्वानी से हजारों किलोमीटर दूर असम तक फैली दूरी पहले ही उनके बीच एक बड़ी दीवार थी, जिस पर मूक-बधिर होना एक और चुनौती थी। लेकिन किस्मत ने दोनों को एक अनोखे मोड़ पर मिलवाया। राष्ट्रीय स्तर के बॉक्सिंग खिलाड़ी कुणाल किसी प्रतियोगिता में हिस्सा लेने दार्जिलिंग पहुंचे थे। वहीं उनकी मुलाकात सोनिका गिरी से हुई। न वे एक-दूसरे को सुन सकते थे, न बोल सकते थे, लेकिन उस पहली मुलाकात में ही दोनों के मन में गहरी आत्मीयता जाग उठी। शब्दों के बिना भी दिल की भाषा ने जो कहा, उसे दोनों ने बखूबी समझ लिया।
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खेल के बहाने शुरू हुई यह छोटी-सी मुलाकात धीरे-धीरे जीवन के नए अध्याय में बदलती चली गई। शुक्रवार को सांस्कृतिक उत्थान मंच में दोनों ने विवाह के पवित्र बंधन में बंधकर अपना नया सफर शुरू किया। विवाह समारोह में परिवारजन और समाज के लोगों ने इस अनोखे मिलन को साक्षी बनकर शुभकामनाएं दीं। समारोह के दौरान दोनों के चेहरों पर छलकती खुशियां उनके लंबे संघर्ष और प्रेम की सफलता को बयां कर रही थीं।
गौलापार निवासी कुणाल खेल जगत में पहचाना नाम हैं। उन्होंने बिहार, झारखंड, रांची और चेन्नई में आयोजित कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया है। चेन्नई में आयोजित नेशनल बॉक्सिंग स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर उन्होंने प्रदेश का नाम रोशन किया। उनके पिता तिल राम बताते हैं कि कुणाल और सोनिका दोनों ही बचपन से मूक-बधिर हैं। वर्तमान में कुणाल हरियाणा के मूक-बधिर विद्यालय में अध्ययनरत हैं और वहीं की टीम की ओर से बॉक्सिंग खेलते हैं। वर्ष 2020 में उनका चयन दुबई में होने वाली ऑलराउंडर क्रिकेट प्रतियोगिता के लिए हुआ था, लेकिन कोरोना महामारी के चलते यह प्रतियोगिता स्थगित हो गई। पिता ने बताया कि शादी के बाद दोनों बेहद खुश हैं और अपने नए जीवन को लेकर उत्साहित भी।
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इसी विवाह समारोह में एक और प्रेरक कहानी सामने आई शिमला की शांति देवी और गौलापार के मनोज की। शांति बचपन में ही अपने माता-पिता को खो चुकी थीं, जिनके पालन-पोषण की जिम्मेदारी उनकी बुआ ने निभाई। मनोज भी अपने माता-पिता को छोटी उम्र में खो चुके थे और उनका पालन-पोषण उनकी मौसी ने किया। दोनों की मुलाकात सोशल मीडिया के जरिए हुई और लगभग एक साल की दोस्ती धीरे-धीरे विश्वास और स्नेह में बदलकर विवाह तक जा पहुंची। उनके विवाह ने भी समारोह में उपस्थित लोगों को यह एहसास दिलाया कि जीवन में कठिनाइयां चाहे कितनी भी हों, हमसफर सही समय पर जरूर मिल जाता है।
कुणाल-सोनिका और शांति-मनोज की ये दोनों कहानियां समाज को यह संदेश देती हैं कि प्रेम, विश्वास और समझ दो लोगों के जीवन को नई दिशा दे सकते हैं। चुनौतियों पर विजय पाकर रिश्तों का यह सुंदर मिलन लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है।