Rishikesh-Karnprayag Rail Line: देवप्रयाग से जनासू के बीच भारत की सबसे लंबी दोहरी रेल सुरंग का निर्माण पूरा

भारतीय रेलवे ने एक और नया कीर्तिमान स्थापित कर लिया है। उत्तराखंड के दुर्गम हिमालयी क्षेत्र में भारत की सबसे लंबी परिवहन सुरंग का निर्माण कार्य समय से पहले पूरा कर लिया।

Post Published By: Jay Chauhan
Updated : 30 June 2025, 8:13 PM IST
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देवप्रयाग: उत्तराखंड में ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन पर देवप्रयाग और जनासू के बीच भारत की सबसे लंबी रेल सुरंग का निर्माण कार्य पूरा हो गया। यह सुरंग 14.58 किलोमीटर लंबी है।

देवप्रयाग से जनासू के बीच कुल 14.57 किमी लंबी इन दोनों (डबल ट्यूब) सुरंगों का इस्तेमाल गाड़ियों के आवागमन के लिए किया जाएगा। विशेष यह कि इस क्षेत्र में भूगर्भीय संरचना अन्य स्थानों की अपेक्षा पूरी तरह अलग है, इसलिए इन दोनों सुरंगों की खोदाई के लिए जर्मनी से टीबीएम मशीन मंगाई गई हैं। इन सुरंगों की प्रगति की बात करें तो अब भी ट्यूब-1 से 7.811 किमी और ट्यूब-2 में 5.860 किमी खोदाई का कार्य पूरा हो चुका है।

देवप्रयाग-जनासू सुरंग सबसे लंबी होने के साथ-साथ दुनिया में सबसे तेज गति से पूरी होने वाली सुरंग है। यह पहली बार था कि हिमालय में पहाड़ों की खुदाई के लिए 9.11 मीटर व्यास वाली ‘सिंगल शील्ड हार्ड रॉक टीबीएम’ का इस्तेमाल किया गया।

एक अन्य TBM 'शिवा' के जरिए समानांतर सुरंग का कार्य जारी है और इसका ब्रेकथ्रू जुलाई 2025 तक होने की उम्मीद है। इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद चार धाम यात्रा की दूरी में कमी आएगी, दूरदराज के इलाकों में हर मौसम में कनक्टिविटी मिलेगी और उत्तराखंड में पर्यटन तथा आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।

यह सुरंग 125 किमी लंबी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन का हिस्सा है, जिसके पूरा होने पर यात्रा का समय 7-8 घंटे से घटकर 2 घंटे रह जाएगा। इससे उत्तराखंड के पांच जिलों देहरादून, टिहरी, पौड़ी, रुद्रप्रयाग और चमोली को रेल नेटवर्क से जोड़ा जाएगा।

यह परियोजना कई मायनों में ऐतिहासिक रही है। यह परियोजना देश के रेल नेटवर्क को पहाड़ी इलाकों तक पहुंचाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

दिसंबर 2026 तक इसका उद्घाटन होने की उम्मीद है, जिससे पहाड़ी क्षेत्रों में यात्रा में आसानी और तेज होगी। दिलचस्प बात ये है कि इस 125 किलोमीटर के सफर में लोगों को सिर्फ 20 किलोमीटर ही खुले में सफर का आनंद मिलेगा। बाकी के 105 किलोमीटर तक ट्रेन सुरंगों में ही रहेगी।

दिलचस्प बात ये है कि इस 125 किलोमीटर के सफर में लोगों को सिर्फ 20 किलोमीटर ही खुले में सफर का आनंद मिलेगा. बाकी के 105 किलोमीटर तक ट्रेन सुरंगों में ही रहेगी।

ऋषिकेश ही नहीं, लोग अब उत्तराखंड में कर्मप्रयाग तक ट्रेन से सफर का आनंद ले सकेंगे।

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