

कैलाश मानसरोवर यात्रा पर गईं भारत की पूर्व विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी को घोड़े से गिरने के बाद तीन दिन तक ऊंचे हिमालयी क्षेत्र में बेहद चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में फंसे रहना पड़ा। खराब मौसम, बंद सड़कों और कठिन इलाके के बीच 44 घंटे के बाद मंगलवार सुबह उन्हें रेस्क्यू कर हेलीकॉप्टर से ऋषिकेश एम्स भेजा गया।
भारत की पूर्व विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी (सोर्स इंटरनेट)
Pithoragarh: कैलाश मानसरोवर यात्रा पर गईं भारत की पूर्व विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी को घोड़े से गिरने के बाद तीन दिन तक ऊंचे हिमालयी क्षेत्र में बेहद चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में फंसे रहना पड़ा। खराब मौसम, बंद सड़कों और कठिन इलाके के बीच 44 घंटे के बाद मंगलवार सुबह उन्हें रेस्क्यू कर हेलीकॉप्टर से ऋषिकेश एम्स भेजा गया।
सूत्रों के अनुसार, रविवार को मीनाक्षी लेखी तिब्बत के दार्चिन क्षेत्र में घोड़े से गिरकर घायल हो गई थीं। इसके बाद उन्हें यात्रा दल से अलग करना पड़ा और चीन के सैनिक उन्हें भारतीय सीमा लिपुलेख तक लेकर आए। वहां से ITBP ने उन्हें रेस्क्यू कर रविवार दोपहर करीब एक बजे गुंजी पहुंचाया। यहां से एयरलिफ्ट कर दिल्ली भेजे जाने की योजना थी, लेकिन दो दिन तक खराब मौसम के चलते हेलीकॉप्टर उड़ान नहीं भर सका।
सोमवार को प्रशासन ने तय किया कि लेखी को सड़क मार्ग से 80 किमी दूर धारचूला लाया जाएगा लेकिन मुश्किलें यहां भी खत्म नहीं हुईं। रास्ते में लमारी के पास भारी भूस्खलन के चलते रास्ता बंद मिला। इससे वे वहीं फंस गईं। ITBP और SSB के जवानों ने उन्हें अस्थायी रूप से लमारी के गेस्ट हाउस में ठहराया। बाद में जब मौसम थोड़ा सामान्य हुआ, तो जवानों ने उन्हें पैदल भूस्खलन वाला क्षेत्र पार कराया और वाहन से धारचूला पहुंचाया गया।
44 घंटे की कठिन यात्रा और इंतजार के बाद मंगलवार सुबह करीब 8:40 बजे मीनाक्षी लेखी धारचूला से हेलीकॉप्टर में सवार होकर ऋषिकेश एम्स के लिए रवाना हुईं। उनकी सुरक्षित रवानगी के बाद जिला प्रशासन और रेस्क्यू टीमों ने भी राहत की सांस ली।
यह घटना एक बार फिर दर्शाती है कि कैलाश मानसरोवर यात्रा जितनी पवित्र और मनोभावनाओं से जुड़ी होती है, उतनी ही चुनौतीपूर्ण और जोखिम से भरी भी। पूर्व मंत्री लेखी का साहस और सुरक्षाबलों की तत्परता ही उन्हें सुरक्षित वापस ला पाई।