बद्रीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद, 12 कुंतल फूलों से सजाया गया मंदिर

स्थानीय प्रशासन ने भी सुरक्षा और व्यवस्थाओं पर कड़ी निगरानी बनाए रखी है। श्रद्धालुओं के लिए स्वास्थ्य सुविधा, गर्म पेयजल और परिवहन की विशेष व्यवस्था की गई है। ठंड बढ़ने के बावजूद भक्तों की आस्था में कोई कमी नहीं दिखी।

Post Published By: ईशा त्यागी
Updated : 25 November 2025, 4:39 PM IST
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Uttarakhand: चमोली जिले में स्थित बद्रीनाथ धाम में आज शीतकालीन अवकाश के लिए कपाट बंद होने की अंतिम तैयारियां चरम पर हैं। सुबह से ही मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। जैसे-जैसे कपाट बंद होने का समय नज़दीक आ रहा है, वातावरण भावनाओं और भक्ति से सराबोर दिखाई दे रहा है।

विशेष बात यह रही कि कपाट बंद होने से पहले सेना के बैंड ने भक्ति संगीत की मनमोहक प्रस्तुति दी, जिसकी धुन पर भक्तों के कदम खुद-ब-खुद थिरक उठे। बैंड की सूरमयी ताल ने मंदिर परिसर में एक अद्भुत ऊर्जा भर दी, और श्रद्धालुओं ने जय बदरी-विशाल के नारों के बीच पारंपरिक नृत्य कर माहौल को और भी उत्साहपूर्ण बना दिया।

निर्धारित विधि के बंद होंगे कपाट

मंदिर समिति के अधिकारियों के अनुसार, धाम के कपाट आज निर्धारित विधि के साथ बंद किए जाएंगे और भगवान बद्रीनाथ की पूजा-विधि शीतकाल के दौरान जोशीमठ स्थित पंडुकेश्वर और फिर नरसिंह मंदिर में संचालित की जाएगी। हर साल की तरह इस बार भी हजारों श्रद्धालु कपाट बंद होने की इस पवित्र प्रक्रिया के साक्षी बनने पहुंचे हैं।

कपाट बंद होने से पहले सुबह से ही विशेष पूजा और आरती का आयोजन किया गया। पुजारियों ने पारंपरिक मंत्रोच्चार के साथ भगवान बदरीविशाल का अंतिम शृंगार किया। इसके बाद 'अक्षय दीप' की स्थापना कर पूरे मंदिर परिसर में दिव्य वातावरण की अनुभूति कराई गई।

सुरक्षा और व्यवस्थाओं पर कड़ी निगरानी

स्थानीय प्रशासन ने भी सुरक्षा और व्यवस्थाओं पर कड़ी निगरानी बनाए रखी है। श्रद्धालुओं के लिए स्वास्थ्य सुविधा, गर्म पेयजल और परिवहन की विशेष व्यवस्था की गई है। ठंड बढ़ने के बावजूद भक्तों की आस्था में कोई कमी नहीं दिखी।

कपाट बंद होने के साथ ही बद्रीनाथ धाम अगले छह महीनों तक हिमपात और कठोर मौसम के कारण श्रद्धालुओं के लिए बंद रहेगा। अब अगले वर्ष अप्रैल-मई में अक्षय तृतीया के आसपास कपाट फिर से खोले जाने की संभावना है।

आज का दिन सिर्फ एक धार्मिक परंपरा का हिस्सा नहीं, बल्कि आस्था, संस्कृति और भावनाओं के संगम का भी प्रतीक बन गया है।

 

Location : 
  • Uttarakhand

Published : 
  • 25 November 2025, 4:39 PM IST