

हरिद्वार के पुलिस महकमे के लिए गर्व का क्षण है। प्रांतीय पुलिस सेवा (पीपीएस) के 2005 बैच के वरिष्ठ अधिकारी सुरजीत सिंह पवार को भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) संवर्ग में पदोन्नत किया गया है।
PPS अफसर सुरजीत सिंह पवार बने IPS
हरिद्वार: जनपद के पुलिस महकमे के लिए गर्व का क्षण है, जब प्रांतीय पुलिस सेवा (पीपीएस) के 2005 बैच के वरिष्ठ अधिकारी सुरजीत सिंह पवार को भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) संवर्ग में पदोन्नत किया गया है।
जानकारी के अनुसार वर्तमान में वह एटीसी 40वीं बटालियन पीएसी हरिद्वार में तैनात हैं और अपने लंबे तथा अनुकरणीय पुलिस करियर में उन्होंने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां अर्जित की हैं।
सुरजीत सिंह पवार ने अपने सेवाकाल की शुरुआत से ही हरिद्वार, उधम सिंह नगर सहित कई जिलों में अपनी कार्यशैली, ईमानदारी और अनुशासनप्रिय छवि से खास पहचान बनाई। उन्होंने कानून-व्यवस्था बनाए रखने में अपनी बेहतरीन रणनीति और त्वरित निर्णय क्षमता का परिचय कई बार दिया है।
उनकी गिनती ऐसे अधिकारियों में होती है, जो न केवल कठिन परिस्थितियों में भी शांतचित्त रहते हैं, बल्कि अपनी टीम को भी उसी दृढ़ता के साथ आगे बढ़ाते हैं।
उनकी सबसे उल्लेखनीय सेवाओं में कुंभ मेला और कांवड़ मेला जैसे विश्वस्तरीय आयोजनों में सुरक्षा प्रबंधन शामिल है। इन आयोजनों में करोड़ों श्रद्धालुओं की भीड़, संवेदनशील परिस्थितियां और व्यापक सुरक्षा चुनौतियों के बावजूद, श्री पवार ने अपनी कुशल नेतृत्व क्षमता से व्यवस्था को सुदृढ़ बनाए रखा। उनके नेतृत्व में सुरक्षा योजनाओं का सूक्ष्म क्रियान्वयन और फोर्स का बेहतर समन्वय प्रशासन के लिए एक मिसाल बना।
सहकर्मी और अधीनस्थ कर्मचारी उन्हें एक भरोसेमंद, प्रेरणादायी और सुलभ अधिकारी मानते हैं। उनकी पदोन्नति को न केवल उनके व्यक्तिगत करियर की उपलब्धि माना जा रहा है, बल्कि यह पुलिस विभाग के लिए भी गर्व का विषय है। पुलिस महकमे के अधिकारियों का कहना है कि यह सफलता श्री पवार की वर्षों की मेहनत, निष्ठा और पेशेवर दक्षता का परिणाम है।
आईपीएस संवर्ग में पदोन्नति मिलने के बाद सुरजीत सिंह पवार से उम्मीदें और बढ़ गई हैं। उनके अनुभव, दूरदृष्टि और दृढ़ संकल्प से पुलिस विभाग को आने वाले समय में और मजबूती मिलने की संभावना है। उनकी कहानी उन युवा अधिकारियों के लिए प्रेरणा है, जो ईमानदारी, समर्पण और परिश्रम से अपनी पहचान बनाना चाहते हैं।
सुरजीत सिंह पवार का यह सफर इस बात का प्रमाण है कि सेवा, समर्पण और अनुशासन से सफलता के उच्चतम शिखर को छुआ जा सकता है, और यही गुण उन्हें एक जांबाज अफसर के रूप में हमेशा यादगार बनाए रखेंगे।