

हरिद्वार में बाढ़ आपदा से निपटने के लिए एक व्यापक मॉकड्रिल का आयोजन किया गया, जिसमें रेड क्रॉस स्वयंसेवकों की अहम भूमिका को सराहा गया।
Haridwar: जनपद में संभावित बाढ़ आपदा से निपटने के लिए एक व्यापक मॉकड्रिल का आयोजन किया गया, जिसमें इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी के स्वयंसेवकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह अभ्यास जिलाधिकारी मयूर दीक्षित के निर्देशन और इंडियन रेड क्रॉस उत्तराखंड के अध्यक्ष डॉ. नरेश चौधरी के संयोजन में संपन्न हुआ।
डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार गंगा नदी के जलस्तर में संभावित वृद्धि को ध्यान में रखते हुए आयोजित इस मॉकड्रिल का उद्देश्य आपदा के समय त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता को परखना और लोगों को समय पर राहत प्रदान करना था। इस दौरान रेड क्रॉस के प्रशिक्षित स्वयंसेवकों ने समय पर घटनास्थल पर पहुंचकर घायलों को प्राथमिक उपचार दिया और उन्हें शीघ्र अस्पताल पहुंचाने में सहायता की।
डॉ. नरेश चौधरी ने कहा कि रेड क्रॉस आपदा की किसी भी स्थिति में तत्परता से जनमानस की सुरक्षा के लिए काम करता है। उन्होंने बताया कि भविष्य में भी रेड क्रॉस द्वारा लगातार आपदा प्रबंधन और जनजागरूकता अभियानों का संचालन किया जाएगा, ताकि किसी भी आपदा की स्थिति में जन, धन और पशुधन की हानि को न्यूनतम किया जा सके।
इस मॉकड्रिल में स्वयंसेवकों अंकुश रावत, मनजीत, केशव, गगन, भावेश, सृष्टि, संध्या, लक्ष्मी, कमल मंडल, पूनम, रोहन, मनोज, अंशिका गहलोत, दीक्षा, परमजीत कौर, हिमानी बिष्ट, वंशिका, शिवांशी और चैतन्य कुमार पंत ने सक्रिय भागीदारी निभाई।
प्रशासन और स्वयंसेवकों की संयुक्त तैयारी ने यह साबित कर दिया कि आपदा की घड़ी में समन्वय और सजगता से बड़े नुकसान को रोका जा सकता है। मॉकड्रिल ने आमजन को भी जागरूक किया और आपदा के समय सतर्क रहने का संदेश दिया।
इस आयोजन के माध्यम से आपदा प्रबंधन प्रणाली की मजबूती और सभी संबंधित विभागों के बीच समन्वय को और बेहतर बनाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम उठाया गया है।
बता दें कि रेड क्रॉस सोसायटी के स्वयंसेवक आपदा मॉकड्रिल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे न केवल आपदा के दौरान प्रतिक्रिया के लिए प्रशिक्षित होते हैं, बल्कि आपदा से पहले तैयारी और बाद में पुनर्वास में भी मदद करते हैं। मॉकड्रिल के दौरान, स्वयंसेवक विभिन्न भूमिकाएँ निभाते हैं, जैसे कि बचाव, प्राथमिक चिकित्सा, आश्रय प्रबंधन और पीड़ितों की काउंसलिंग।
मॉकड्रिल के माध्यम से, स्वयंसेवक आपदा के लिए बेहतर तैयारी करते हैं। वे अपनी भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को समझते हैं, और आपदा के दौरान प्रभावी ढंग से काम करने के लिए आवश्यक कौशल सीखते हैं।