

डोईवाला के प्रेम नगर बाजार में दीपावली के त्योहार को लेकर कुम्हार समाज के लोग विशेष तैयारी में लगे हुए हैं। इस बार कुम्हार समाज 5 लाख से अधिक मिट्टी के दिए तैयार कर रहा है, ताकि लोग इस दिवाली स्वदेशी और पारंपरिक उत्पादों से अपने घरों को सजाएं और पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके।
डोईवाला में दीवाली की रौनक
Dehradun: डोईवाला के प्रेम नगर बाजार में दीपावली के त्योहार को लेकर कुम्हार समाज के लोग विशेष तैयारी में लगे हुए हैं। इस बार कुम्हार समाज 5 लाख से अधिक मिट्टी के दिए तैयार कर रहा है, ताकि लोग इस दिवाली स्वदेशी और पारंपरिक उत्पादों से अपने घरों को सजाएं और पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके।
आजकल बाजारों में विदेशी झालरों और इलेक्ट्रिक लाइट्स की भरमार है, लेकिन कुम्हार समाज इन आधुनिक सजावटों को मिट्टी के दिए से चुनौती दे रहा है। दीयों की इस परंपरा को पुनर्जीवित करने के लिए स्थानीय कुम्हारों ने पूरी मेहनत शुरू कर दी है। हालांकि चिकनी मिट्टी की व्यवस्था से लेकर उत्पादन और बिक्री तक की प्रक्रिया में कई चुनौतियां आती हैं, फिर भी कुम्हार समाज इस कार्य को बड़ी लगन और जोश से अंजाम दे रहा है।
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प्रेम नगर बाजार के व्यापारी राजन गोयल ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दीपक जलाने से भगवान शनि और मंगल की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही मिट्टी के दिए पर्यावरण के लिए भी बेहद अनुकूल हैं क्योंकि ये प्रदूषण मुक्त होते हैं और इन्हें जलाने से पर्यावरण में कोई नुकसान नहीं होता। इसीलिए लोगों को इस दीपावली मिट्टी के दिये जलाकर पर्यावरण संरक्षण में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
प्रेम नगर बाजार के राम सिंह प्रजापति, जो खुद भी कुम्हार समाज से हैं, ने बताया कि इस साल वे अकेले 5 लाख से अधिक मिट्टी के दिए तैयार कर रहे हैं। वे लोगों से आग्रह कर रहे हैं कि वे इस दिवाली विदेशी लाइट्स और झालरों की जगह मिट्टी के दिए जलाकर पारंपरिक और स्वदेशी संस्कृति को बढ़ावा दें। साथ ही वे लोगों को दीयों के महत्व के बारे में भी जागरूक कर रहे हैं ताकि हर घर में पर्यावरण हितैषी प्रकाश हो।
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इस प्रयास के माध्यम से न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक सकारात्मक कदम उठाया जा रहा है, बल्कि स्थानीय कुम्हार समाज की आजीविका को भी मजबूती मिल रही है। लोग स्वदेशी उत्पादों को अपनाकर एक नई ऊर्जा के साथ दिवाली का त्योहार मना रहे हैं।