

सरकार और न्यायपालिका से मांग की है कि अधिवक्ता राकेश किशोर के खिलाफ संविधान सम्मत धाराओं में मुकदमा दर्ज कर उसे सख्त सजा दी जाए। उनका कहना है कि अगर इस तरह की घटनाओं पर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई तो यह एक खतरनाक उदाहरण बन जाएगा।
बरेली के वकीलों का फूटा गुस्सा
Bareilly: सर्वोच्च न्यायालय में मुख्य न्यायमूर्ति पर जूता फेंकने की घटना ने पूरे देश में आक्रोश फैला दिया है। इस निंदनीय कृत्य के खिलाफ बरेली बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं ने विरोध जताते हुए प्रदर्शन किया और दोषी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
दरअसल, 6 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट की एक लाइव सुनवाई के दौरान 71 वर्षीय अधिवक्ता राकेश किशोर ने मुख्य न्यायमूर्ति माननीय बी.आर. गवई पर जूता फेंकने जैसा शर्मनाक कृत्य किया। यह घटना न केवल न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुँचाती है, बल्कि इससे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था और संविधान पर भी सवाल उठते हैं।
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अधिवक्ताओं ने कहा - यह संविधान का अपमान है
बरेली के वरिष्ठ अधिवक्ता और भीम आर्मी व आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) लीगल सेल के मंडल अध्यक्ष अमर सिंह एडवोकेट ने इस घटना की घोर निंदा करते हुए कहा कि यह कृत्य न केवल न्यायपालिका, बल्कि संविधान के मूल्यों पर हमला है। उन्होंने कहा, "अधिवक्ता राकेश किशोर ने यह हरकत पूर्वाग्रह और जातिवादी मानसिकता से प्रेरित होकर की है। ऐसी मानसिकता समाज में जहर घोलने का काम करती है, और इसे कानून के जरिए सख्ती से रोका जाना चाहिए।" अधिवक्ताओं ने यह भी कहा कि इस प्रकार की मानसिकता के चलते ही ईमानदार और संवेदनशील अधिकारी जैसे कि आईपीएस पूरण कुमार आत्महत्या जैसे दुर्भाग्यपूर्ण कदम उठाने को मजबूर होते हैं।
ज्ञापन सौंपकर की कानूनी कार्रवाई की मांग
इस संबंध में अधिवक्ताओं ने एक ज्ञापन सौंपते हुए सरकार और न्यायपालिका से मांग की है कि अधिवक्ता राकेश किशोर के खिलाफ संविधान सम्मत धाराओं में मुकदमा दर्ज कर उसे सख्त सजा दी जाए। उनका कहना है कि अगर इस तरह की घटनाओं पर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई तो यह एक खतरनाक उदाहरण बन जाएगा।
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न्यायपालिका की गरिमा सर्वोपरि
बार एसोसिएशन के सदस्यों ने एक स्वर में कहा कि किसी भी मतभेद या असहमति को अभिव्यक्त करने के लिए संवैधानिक और कानूनी रास्ते मौजूद हैं, लेकिन मुख्य न्यायमूर्ति जैसे संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के साथ इस प्रकार का दुर्व्यवहार लोकतंत्र के लिए अत्यंत घातक है। उन्होंने कहा कि देश की न्यायपालिका हर वर्ग के व्यक्ति को न्याय देने के लिए खड़ी है। ऐसे में इस तरह की घटनाएं केवल नफरत और पूर्वाग्रह को बढ़ावा देती हैं, जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।