

मध्य प्रदेश में जहरीले कफ सीरप के सेवन से 23 मासूम बच्चों की मौत ने चिकित्सा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जांच में सामने आया है कि इस जहरीले सीरप को लिखने वाले डॉक्टर को हर बोतल पर कमीशन मिलता था।
इसी जहरीला कफ सिरप से गई 23 बच्चों की जान
Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश में एक शर्मनाक और दर्दनाक मामला सामने आया है, जहां जहरीले कफ सिरप को पीने से 23 मासूम बच्चों की मौत हो गई। जांच में यह खुलासा हुआ है कि इन बच्चों को यह जहरीला कफ सिरप एक ऐसे डॉक्टर ने लिखा था, जिसे इस सिरप की हर बोतल पर 10 फीसदी कमीशन मिलता था।
24.54 रुपये की दवाई पर 2.5 रुपये का कमीशन
यह कफ सिरप श्रीसन फार्मास्युटिकल्स नामक कंपनी द्वारा बनाया गया था और इसे बाजार में लगभग 24.54 रुपये में बेचा जाता था। जांच में सामने आया है कि डॉक्टर प्रवीण सोनी का इस कंपनी से गहरा संबंध था। उन्हें हर बोतल लिखने के बदले में लगभग 2.5 रुपये कमीशन मिलता था। यह कमीशन उनकी आर्थिक लाभ के लिए मासूमों के स्वास्थ्य की कीमत पर दिया जा रहा था।
कमीशन के लिए बच्चों को दी जहर वाली कफ सिरप
पुलिस और जांचकर्ताओं के अनुसार डॉक्टर प्रवीण सोनी ने बार-बार बच्चों को यह जहरीला कफ सिरप दिया, जबकि स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय ने 18 दिसंबर 2023 को स्पष्ट आदेश जारी किया था कि 4 साल से कम उम्र के बच्चों को फिक्स्ड-डोज कॉम्बिनेशन (एफडीसी) दवाएं न दी जाएं। इसके बावजूद डॉ. सोनी ने अपनी प्राइवेट प्रैक्टिस में इस सीरप को लिखना जारी रखा।
जांच में रह भी बड़ा खुलासा
पुलिस ने यह भी बताया कि डॉ. सोनी की पत्नी और भतीजे की दवा की दुकानें भी थी, जहां इसी प्रकार की दवाइयां बेची जाती थी। इस मामले ने चिकित्सा क्षेत्र में चल रही गंदगी और अवैध कृत्यों की पोल खोल दी है।
आरोपी डॉक्टर का पक्ष और वकील की प्रतिक्रिया
डॉक्टर प्रवीण सोनी ने कमीशन लेने की बात पुलिस के सामने स्वीकार की है। लेकिन उनका वकील पवन शुक्ला इस पूरे मामले को मनगढ़ंत और साजिशपूर्ण बताते हुए पुलिस की कहानी को खारिज कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह आरोप बिना किसी ठोस साक्ष्य के लगाए गए हैं और कानूनी रूप से बेकार हैं।
आखिरकार भारत लौट ही आए विराट कोहली, ‘किंग’ का नया लुक देख दीवानी हुईं फीमेल फैंस- देखें Photos
मध्य प्रदेश में चिकित्सा व्यवस्था पर उठ रहे सवाल
यह कोई पहला मौका नहीं है जब मध्य प्रदेश में डॉक्टरों की साख पर सवाल उठे हों। करीब दस साल पहले 14 जिलों के 20 प्रमुख डॉक्टरों पर आरोप लगे थे कि उन्होंने अपने परिवार के साथ इटली की लग्जरी यात्राएं कीं, जो एक दवा कंपनी द्वारा स्पॉन्सर की गई थीं। बदले में उन्होंने अपने मरीजों को उस कंपनी की दवाएं लिखीं।
फिर उठा 2008 वाला मामला
2008 से 2011 के बीच कई सरकारी डॉक्टरों पर अवैध दवा परीक्षण करने का भी आरोप था, जिसने चिकित्सा क्षेत्र की विश्वसनीयता को चोट पहुंचाई। अब इस जहरीले कफ सीरप के मामले ने इन आरोपों को फिर से ताजा कर दिया है और चिकित्सा व्यवस्था में सुधार की मांग तेज हो गई है।