

नगर में गोरखपुर से आई जेडी हेल्थ की टीम ने रविवार को निजी अस्पतालों पर अचानक छापेमारी कर दी, जिससे पूरे शहर में हड़कंप मच गया। कई अस्पतालों में डॉक्टर मौके से फरार मिले, जबकि कुछ जगहों पर अस्पताल नर्सों के सहारे संचालित हो रहे थे।
जेडी हेल्थ की ताबड़तोड़ छापेमारी से हड़कंप, डॉक्टर फरार
महराजगंज: रविवार को नगर में स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया जब गोरखपुर से पहुंचे ज्वाइंट डायरेक्टर हेल्थ डॉ. अरुण गर्ग ने महराजगंज के कई निजी अस्पतालों पर अचानक छापेमारी शुरू कर दी। बिना किसी पूर्व सूचना के की गई इस कार्रवाई ने अस्पताल संचालकों में अफरा-तफरी मचा दी।
मरीजों को इलाज में कठिनाई
जानकारी के मुताबिक, सबसे पहले टीम के०एल० हॉस्पिटल पहुंची, जहां डॉक्टर के नाम से रजिस्टर्ड अस्पताल में डॉक्टर तो नदारद मिले लेकिन अस्पताल नर्सों के भरोसे चल रहा था। निरीक्षण के दौरान अस्पताल में भारी दुर्व्यवस्था देखने को मिली। मरीजों को इलाज में कठिनाई हो रही थी, वहीं कई जरूरी दस्तावेज अधूरे या गायब पाए गए।
लापरवाही और मनमानी का आरोप
टीम ने मौके पर मौजूद मरीजों और उनके परिजनों से बातचीत की। अधिकांश मरीजों ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही और मनमानी का आरोप लगाया। जांच टीम ने अस्पताल से कई रिकॉर्ड और दस्तावेज जब्त किए और उन्हें तत्काल नियमानुसार पूरा करने के निर्देश दिए।
कई महत्वपूर्ण कागजात जब्त
इसके बाद लाइफ लाइन हॉस्पिटल में भी छापेमारी की गई। यहां भी स्थिति संतोषजनक नहीं पाई गई। एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉक्टर मौके से गायब मिले और दवाओं के रखरखाव में भी गंभीर त्रुटियां सामने आईं। टीम ने यहां से भी कई महत्वपूर्ण कागजात जब्त किए और प्रबंधन को चेतावनी दी कि अगर सुधार नहीं किया गया तो लाइसेंस निलंबन की कार्रवाई की जाएगी।
निजी हॉस्पिटल भी जांच के दायरे में
सूत्रों के मुताबिक, टीम अब तक तीन अस्पतालों पर कार्रवाई कर चुकी है, जबकि कुछ अन्य निजी हॉस्पिटल भी जांच के दायरे में हैं। कार्रवाई के बाद नगर में निजी अस्पताल संचालकों में हड़कंप है और कई ने अपने अस्पताल अस्थायी रूप से बंद कर दिए हैं।
स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही
जानकारी के मुताबिक, जेडी हेल्थ डॉ. अरुण गर्ग ने कहा कि “स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जिन अस्पतालों में गंभीर खामियां मिली हैं, उन पर सख्त कार्रवाई तय है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या इन अस्पतालों पर वास्तव में कार्रवाई होगी या मामला फिर से “लिपा-पोती” की भेंट चढ़ जाएगा।