

रामनगर में मालिकाना हक संघर्ष समिति ने वन ग्रामों को राजस्व ग्राम बनाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया तो उग्र आंदोलन किया जाएगा। यहां पढ़ें पूरी खबर
रामनगर में वन ग्रामों को राजस्व गांव बनाने की मांग
Ramnagar: मंगलवार को रामनगर में मालिकाना हक संघर्ष समिति ने वन ग्रामों को राजस्व ग्राम का दर्जा देने और यहां के निवासियों को बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने की मांग को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया। सैकड़ों ग्रामीणों ने प्रदर्शन के दौरान सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और तहसील मुख्यालय तक मार्च किया।
इस प्रदर्शन के दौरान समिति के अध्यक्ष एस लाल ने आरोप लगाया कि इन गांवों में रहने वाले लोग आज भी सुविधाओं से वंचित हैं और उन्हें मानवीय अधिकार नहीं मिल पा रहे हैं।
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रामनगर में वन ग्रामों की स्थिति पर बात करते हुए एस लाल ने कहा, “इन गांवों में लोगों को लावारिस की तरह जीवन बिताना पड़ता है। उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं से महरूम रखा गया है। इन इलाकों को राजस्व ग्राम बनाने की आवश्यकता है ताकि यहां के लोगों को विकास का समान अवसर मिल सके।”
रामनगर में वन ग्रामों को राजस्व ग्राम का दर्जा देने की मांग को लेकर मालिकाना हक संघर्ष समिति ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। सैकड़ों ग्रामीणों ने अपनी समस्याओं को उठाया और चेतावनी दी कि अगर समाधान नहीं हुआ तो उग्र आंदोलन होगा। #Ramnagar #Protest #Uttarakhand pic.twitter.com/t6Ch9iY666
— डाइनामाइट न्यूज़ हिंदी (@DNHindi) October 14, 2025
उन्होंने कहा कि इन ग्रामों के निवासी चुनावों में वोट तो देते हैं, लेकिन अपने ग्राम प्रधान को चुनने का उनका अधिकार नहीं है। यह स्थिति पूरी तरह से अन्यायपूर्ण है।
समिति के अध्यक्ष ने यह भी कहा कि चुनाव के दौरान राजनीतिक पार्टियां बड़े-बड़े वादे करती हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद ये वादे पूरी तरह से नकारा जाते हैं। उन्होंने कहा कि यह समय आ गया है कि इन ग्रामीणों को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना होगा और यदि सरकार उनकी मांगों को नजरअंदाज करती रही, तो यह संघर्ष और उग्र रूप ले सकता है।
मालिकाना हक संघर्ष समिति के सदस्य और प्रदर्शनकारी इस आंदोलन को तहसील मुख्यालय तक लेकर गए, जहां उन्होंने एसडीएम के माध्यम से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा। ज्ञापन में वन ग्रामों को राजस्व ग्राम बनाने, यहां के लोगों को बुनियादी सुविधाएं देने और उनके अधिकारों को सुनिश्चित करने की मांग की गई।
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समिति की चेतावनी: दो महीने में समाधान नहीं हुआ तो उग्र आंदोलन
समिति ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि उनकी समस्याओं का समाधान अगले दो महीने में नहीं किया गया, तो वे उग्र आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे।
सभा में मौजूद ग्रामीणों ने सरकार पर अपनी उपेक्षा का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जिन इलाकों में उनका बसेरा है, वहां कोई विकास नहीं हुआ है। इन इलाकों में सड़क, बिजली, पानी और स्वास्थ्य जैसी सुविधाओं की कमी है।