

आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सहकारिता विभाग द्वारा आयोजित ‘सहकार मंथन 2025’ कार्यशाला मंगलवार को देहरादून में संपन्न हुई।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती को लेकर मंथन
देहरादून: उत्तराखंड को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सहकारिता विभाग द्वारा आयोजित ‘सहकार मंथन 2025’ कार्यशाला मंगलवार को देहरादून में संपन्न हुई। इस कार्यशाला का उद्देश्य प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाना और सहकारी समितियों के माध्यम से विकास की नई राहें तलाशना रहा।
डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार कार्यक्रम की अध्यक्षता सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने की। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि सहकारी समितियां प्रदेश की ग्रामीण आर्थिकी की रीढ़ की हड्डी हैं। सहकार मंथन एक विचार यात्रा है, जो आत्मनिर्भर उत्तराखंड के संकल्प को मजबूत करती है। हमारी सरकार सहकारिता आंदोलन को जन-जन तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है।”
जानकारी के अनुसार डॉ. रावत ने बताया कि उत्तराखंड में सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों, दुग्ध उत्पादकों, महिला समूहों और युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने का व्यापक खाका तैयार किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले समय में प्रत्येक विकासखंड में बहुउद्देशीय सहकारी समितियों की स्थापना की जाएगी, जिससे ग्रामीण युवाओं को गांव में ही रोजगार के अवसर मिल सकें।
कार्यक्रम में विशेषज्ञों और सहकारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया और सहकारिता क्षेत्र में नवाचार, डिजिटल तकनीक और वित्तीय समावेशन पर चर्चा की। विभाग की ओर से एक प्रेजेंटेशन भी दिया गया, जिसमें राज्य में संचालित सहकारी योजनाओं की प्रगति और भविष्य की योजनाओं की रूपरेखा प्रस्तुत की गई।
कार्यशाला में ग्रामीण विकास, कृषि, दुग्ध उत्पादन, मछली पालन, बुनाई एवं कुटीर उद्योगों को सहकारिता से जोड़कर रोजगार सृजन की संभावनाओं पर विशेष चर्चा हुई।
इस अवसर पर सहकारिता सचिव, विभिन्न जिलों से आए सहकारी समितियों के प्रतिनिधि, एनआईसी के अधिकारी और अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का समापन ‘सहकार से समृद्धि’ के नारे के साथ हुआ, जिसमें आत्मनिर्भर उत्तराखंड के सपने को साकार करने का सामूहिक संकल्प लिया गया।
बता दें कि सहकारी समितियाँ ग्रामीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, खासकर वित्तीय सहायता, विपणन सहायता और सामाजिक सशक्तिकरण प्रदान करके। वे ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाने, गरीबी कम करने और सतत विकास को बढ़ावा देने में मदद करती हैं।
ये समितियाँ ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण और वित्तीय सेवाएं प्रदान करती हैं, जिससे किसानों और छोटे उद्यमियों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जाता है।