Dehradun News: उत्तराखंड के स्कूली छात्रों को सिखाई जाएगी आपदा से जूझने की ताकत

उत्तराखंड सरकार ने राज्य के स्कूली छात्रों को सिर्फ किताबी ज्ञान तक सीमित न रखते हुए, अब उन्हें जीवन रक्षक शिक्षा से भी लैस करने की ऐतिहासिक पहल की है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 16 June 2025, 3:19 PM IST
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देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने राज्य के स्कूली छात्रों को सिर्फ किताबी ज्ञान तक सीमित न रखते हुए, अब उन्हें जीवन रक्षक शिक्षा से भी लैस करने की ऐतिहासिक पहल की है। राज्य के शिक्षा विभाग ने कक्षा 9वीं और 10वीं के छात्रों के लिए पहली बार ‘आपदा प्रबंधन’ विषय की पुस्तक तैयार कर सरकारी स्कूलों में लागू कर दी है। इस किताब में छात्रों को न केवल प्राकृतिक आपदाओं की जानकारी दी जाएगी, बल्कि उन्हें उनसे बचाव और राहत कार्यों के व्यावहारिक तरीके भी सिखाए जाएंगे।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक,   इस किताब की खास बात यह है कि इसमें उत्तराखंड की त्रासदियों से मिले सबक और असाधारण साहस के किस्सों को भी शामिल किया गया है। वर्ष 2023 में टनकपुर के सिलक्यारा टनल हादसे में रैट माइनर्स द्वारा दिखाए गए साहस और हिम्मत की कहानी अब बच्चों के पाठ्यक्रम का हिस्सा होगी। इसके अलावा केदारनाथ आपदा, मालपा भूस्खलन जैसी विभीषिकाओं से कैसे निपटा गया – यह भी बच्चों को पढ़ाया जाएगा।

भूस्खलन क्षेत्र से समय रहते बचाव

उत्तराखंड एक भौगोलिक दृष्टि से संवेदनशील राज्य है, जहां भूकंप, बाढ़, भूस्खलन जैसी आपदाएं अक्सर तबाही मचाती हैं। ऐसे में यह शैक्षिक कदम न केवल छात्रों को मानसिक रूप से तैयार करेगा, बल्कि उन्हें जिम्मेदार नागरिक भी बनाएगा। किताब में भूकंप से बचने की तकनीक, बाढ़ के दौरान सुरक्षित स्थानों की पहचान, भूस्खलन क्षेत्र से समय रहते बचाव, और आपातकालीन राहत कार्यों में प्राथमिक सहायता देने के तरीकों की जानकारी दी गई है।

शिक्षा विभाग ने दी ये जानकारी 

शिक्षा विभाग के अनुसार, यह प्रयास बच्चों में जागरूकता, संवेदनशीलता और साहसिक सोच को विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। खास बात यह भी है कि किताब में स्थानीय उदाहरणों और चित्रों के माध्यम से विषय को सरल और रोचक बनाया गया है, ताकि छात्र इसे केवल एक विषय नहीं, बल्कि अपने जीवन का उपयोगी पाठ मानें। उत्तराखंड के इस नवाचार की पूरे देश में सराहना की जा रही है और उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में अन्य राज्य भी इससे प्रेरणा लेंगे।

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