हिंदी
यूपी में कफ सिरप कांड की शुरुआत सोनभद्र में चिप्स और नमकीन के पैकेट में लाखों की शीशियां मिलने से हुई। जांच आगे बढ़ी तो 100 करोड़ का नेटवर्क, फर्जी फर्में, बाहुबली कनेक्शन और बांग्लादेश तक फैली सप्लाई चेन सामने आई। अब SIT, STF और ED तीनों एजेंसियां मिलकर इस काले कारोबार की हर परत उधेड़ रही हैं।
यूपी में कफ सिरप कांड (फोटो सोर्स- गूगल)
Varanasi: उत्तर प्रदेश में कोडिन युक्त कफ सिरप का अवैध कारोबार इन दिनों हर राज्य और केंद्र के एजेंसियों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। यह कांड सिर्फ यूपी तक सीमित नहीं बल्कि बिहार, झारखंड, हिमाचल, हरियाणा, बंगाल से लेकर बांग्लादेश तक फैले एक विशाल नेटवर्क का हिस्सा साबित हो रहा है। यह मामला इतना बड़ा हुआ कि न सिर्फ पुलिस, बल्कि एसआईटी, एसटीएफ और अब ईडी तक इसकी जांच में शामिल हो चुकी है। इस खबर में जानते हैं कि आखिर कैसे इस कफ सिरप कांड की शुरुआत हुई, कौन है इसका किंगपिन और कैसे एक-एक करके सारा खेल खुलता गया।
18 अक्टूबर 2024 यह वह तारीख है जिसने इस पूरे मामले का पर्दाफाश किया। सोनभद्र पुलिस ने चिप्स और नमकीन के पैकेट में छुपाए गए करोड़ों रुपये के कोडिन युक्त कफ सिरप की शीशियां बरामद कीं। तीन लोगों को मौके से गिरफ्तार भी किया गया। उस समय किसी को अंदाजा नहीं था कि यह सिर्फ शुरुआत है, और इसके पीछे एक विशाल अवैध नेटवर्क काम कर रहा है।
लेकिन जब 4 नवंबर को गाजियाबाद में भी करोड़ों की कफ सिरप की खेप पकड़ी गई, तब पुलिस का शक गहरा गया। दोनों घटनाओं में कड़ी एक ही व्यक्ति तक जा रही थी- वाराणसी का शुभम जायसवाल, जो अब इस कांड का किंगपिन माना जा रहा है।
कफ सिरप केस की हर परत खोलती चौंकाने वाली कहानी (फोटो सोर्स- गूगल)
36 जिलें और 118 से अधिक FIR… यूपी में कफ सिरप का काला कारोबार, पढ़ें इस कांड की पूरी कहानी
गाजियाबाद में केस दर्ज होने के 11वें दिन यानी 15 नवंबर को खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (FSDA) ने वाराणसी के कोतवाली थाने में बड़ा मुकदमा दर्ज कराया। शुभम के Selly Traders समेत 27 फर्मों और 28 लोगों पर केस दर्ज किए गए। जांच में सामने आया कि शुभम की फर्म से 100 करोड़ रुपये की लगभग 89 लाख शीशियां खरीदी और बेची गई थीं।
यहां से साफ हुआ कि यह कारोबार राज्य दर राज्य, और फिर देश की सीमा पार बांग्लादेश तक पहुंच चुका था।
18 नवंबर को वाराणसी के पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने एक विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया। इस टीम के नेतृत्व की जिम्मेदारी डीसीपी क्राइम सरवणन टी. को दी गई। SIT की शुरुआती जांच में यह जानकारी सामने आई कि-
27 नवंबर को लखनऊ STF ने शुभम के बेहद करीबी अमित सिंह टाटा को गिरफ्तार किया। अमित टाटा के संबंध जौनपुर के बाहुबली पूर्व सांसद धनंजय सिंह से भी जुड़े बताए गए। STF ने अमित के पास से एक फॉर्च्यूनर कार बरामद की, जिसका नंबर 9777 था। चौंकाने वाली बात यह थी कि इसी नंबर की कार बाहुबली धनंजय सिंह के पास भी है।
अमित और धनंजय सिंह की कई तस्वीरें सामने आईं, जिससे मामला और राजनीतिक हुआ। अमित की गिरफ्तारी के दिन वाराणसी में 12 और फर्मों के खिलाफ मुकदमे दर्ज कर दिए गए।
28 और 29 नवंबर को मामला पूरी तरह राजनीतिक रंग लेने लगा। धनंजय सिंह ने सोशल मीडिया पर सफाई देते हुए खुद को निर्दोष बताया और CBI जांच की मांग प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और मुख्यमंत्री योगी को भेजी। उनकी सफाई ने साफ किया कि मामला अब सिर्फ अवैध कारोबार तक सीमित नहीं रहा बल्कि राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में भी गूंज रहा है।
जौनपुर के बाहुबली पूर्व सांसद धनंजय सिंह (फोटो सोर्स- गूगल)
30 नवंबर को शुभम जायसवाल के पिता भोला प्रसाद को कोलकाता एयरपोर्ट से गिरफ्तार कर लिया गया। वह भी विदेश भागने की फिराक में था। वर्तमान में सोनभद्र पुलिस उसकी रिमांड लेकर पूछताछ कर रही है। 2 दिसंबर को STF ने बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह को गिरफ्तार किया, जो धनंजय सिंह का करीबी बताया जाता है। आलोक ने भी कई चौंकाने वाले खुलासे किए।
3 दिसंबर को इस केस में एन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया। ED की टीम वाराणसी स्थित शुभम के घर पहुंची, नोटिस चिपकाया और जब्ती की प्रक्रिया शुरू की।
इसके बाद 5 दिसंबर को शुभम जायसवाल का 12 मिनट 33 सेकंड का वीडियो सामने आया।
वीडियो में शुभम ने-
यह सिर्फ ड्रग्स तस्करी नहीं बल्कि फर्जी कंपनियों, प्रशासनिक मिलीभगत और अंतरराज्यीय तस्करी का संगठित नेटवर्क है।
शुरुआती जांच में 100 करोड़ रुपये का कारोबार सामने आया, पर अंदाजा है कि यह स्केल इससे कहीं बड़ा है।
नेटवर्क का मुख्य आरोपी शुभम अभी भी फरार है, माना जा रहा है कि वह दुबई में छिपा है।
SIT, STF, FSDA, स्थानीय पुलिस और अब ED- सभी एजेंसियां एक साथ जांच में लगी हैं।
कोडिन युक्त कफ सिरप की खरीद-बिक्री में बड़ी कार्रवाई, आजमगढ़ में नए खुलासे; पढ़ें पूरी खबर
इस कफ सिरप कांड की जांच अभी जारी है और आने वाले दिनों में कई और बड़े खुलासे होने की संभावना है। यह मामला यूपी में अवैध दवा कारोबार, प्रशासनिक भ्रष्टाचार, राजनीतिक कनेक्शन और अंतरराष्ट्रीय तस्करी के जाल को उजागर कर रहा है। सरकार और एजेंसियों का दावा है कि इस केस में शामिल हर व्यक्ति को चिन्हित कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह कांड अब सिर्फ एक अवैध कारोबार नहीं, बल्कि यूपी में संगठित अपराध के एक बड़े मॉडल का खुलासा बन चुका है।