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उत्तराखंड के उत्तरी जखोली रेंज में भालू की बढ़ती सक्रियता को देखते हुए वन विभाग ने 18 सदस्यीय टीम गठित की है। टीम गांवों और स्कूलों में जागरूकता अभियान चला रही है। ड्रोन और कैमरा ट्रैप से भी भालू की निगरानी की जा रही है।
वन विभाग का अलर्ट (फोटो सोर्स- डाइनामाइट न्यूज़)
Rudraprayag: उत्तरी जखोली रेंज अंतर्गत धरियांज थाती-बड़मा क्षेत्र में पिछले कुछ दिनों से भालू की सक्रियता बढ़ने की वजह से वन विभाग ने स्थिति पर कड़ी निगरानी रखना शुरू कर दिया है। रेंज अधिकारी सुरेन्द्र सिंह के नेतृत्व में 18 सदस्यीय एक विशेष टीम का गठन किया गया है, जो इन क्षेत्रों में भालू की निगरानी और सुरक्षा के लिए निरंतर गश्त कर रही है। यह टीम भालू की गतिविधियों पर नजर रखने के साथ-साथ क्षेत्रीय निवासियों को भी जागरूक करने का काम कर रही है।
वन विभाग की टीम ने क्षेत्र के ग्राम सभा धरियांज, थाती-बड़मा और मुन्ना देवल में कई बैठकें आयोजित की। इन बैठकों में भालू के खतरे से बचने के उपायों पर चर्चा की गई। खासकर महिलाओं को घास लेने के दौरान अकेले न जाने की हिदायत दी गई। महिलाओं से अपील की गई कि वे अगर घास लेने जाएं तो समूह में जाएं।
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इसके अलावा, बच्चों को भी स्कूलों में समूह में आने की सलाह दी गई है। वन विभाग ने राजकीय इंटर कॉलेज सिदसौड़ और राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय दिकधार में छात्रों और शिक्षकों के साथ संवाद किया और उन्हें वन्य जीवों से सावधानी बरतने के बारे में बताया।
स्कूलों में चल रही जागरूकता मुहिम (फोटो सोर्स- डाइनामाइट न्यूज़)
प्रभागीय वनाधिकारी रुद्रप्रयाग, रजत सुमन ने बताया कि क्षेत्र में भालू की निगरानी ड्रोन और 10 कैमरा ट्रैप से की जा रही है। इसके अलावा, वन विभाग की टीम दिन और रात के समय में लगातार गश्त कर रही है ताकि किसी भी घटना को समय रहते रोका जा सके। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे अपने घरों के पास की झाड़ियों को साफ रखें, घरेलू कचरा खुले में न फेंके और घरों के आसपास अच्छी रोशनी की व्यवस्था रखें, ताकि भालू जैसे जानवरों से बचाव किया जा सके।
वन विभाग की तरफ से किए जा रहे इन कदमों से स्थानीय लोग काफी राहत महसूस कर रहे हैं। टीम की मौजूदगी से इलाके में सुरक्षा की भावना बनी हुई है। विभाग ने बताया कि भालू की निगरानी के लिए ड्रोन की मदद ली जा रही है, जो इन क्षेत्रों में लगातार उड़ा कर भालू की गतिविधियों पर नजर रखता है। इसके अलावा, 10 कैमरा ट्रैप भी लगाए गए हैं, जो भालू की जंगली सैर को रिकॉर्ड कर रहे हैं।
स्थानीय ग्रामीणों का सहयोग भी इस अभियान में अहम भूमिका निभा रहा है। वे वन विभाग के दिशा-निर्देशों का पालन कर रहे हैं और जागरूकता अभियान को सफल बनाने में योगदान दे रहे हैं। वन विभाग ने गांवों में विशेष जागरूकता अभियान चलाने के लिए कई मीटिंग्स आयोजित की हैं, जिनमें ग्रामीणों को भालू से बचने के उपायों के बारे में बताया गया है।
भालू की बढ़ती सक्रियता को देखते हुए यह जरूरी हो गया है कि स्थानीय प्रशासन और वन विभाग मिलकर लगातार निगरानी और सुरक्षा उपायों को कड़ा करें, ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके।