देवभूमि की दिव्यता में डूबा बद्रीनाथ! सीएम धामी ने कहा-‘यह केवल उत्सव नहीं, हमारी पहचान है’

बद्रीनाथ में आयोजित देवभूमि कल्चरल फेस्टिवल-2025 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शिरकत की। भारतीय सेना और उत्तराखंड सरकार द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित यह उत्सव सांस्कृतिक विरासत, अध्यात्म और सामुदायिक सहभागिता का प्रतीक बना।

Post Published By: Tanya Chand
Updated : 26 October 2025, 4:31 PM IST
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Chamoli: उत्तराखंड की पावन धरती बद्रीनाथ में रविवार को देवभूमि कल्चरल फेस्टिवल-2025 का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। भारतीय सेना और उत्तराखंड सरकार के संयुक्त प्रयास से आयोजित यह आयोजन राज्य की सांस्कृतिक धरोहर, लोककला, आध्यात्मिकता और स्थानीय परंपराओं का अद्भुत संगम बन गया।

सीएम धामी का गर्मजोशी से स्वागत

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने तय कार्यक्रम के अनुसार हेलीपैड पहुंचे, जहां जिलाधिकारी गौरव कुमार और पुलिस अधीक्षक सर्वेश पंवार ने पुष्पगुच्छ भेंट कर उनका स्वागत किया। पुलिस बल द्वारा उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया गया। इसके बाद मुख्यमंत्री कार से कार्यक्रम स्थल टूरिस्ट अराइवल प्लाजा पहुंचे।

हेलीपैड पर जिला पंचायत अध्यक्ष दौलत सिंह बिष्ट, भाजपा जिलाध्यक्ष गजपाल बर्तवाल, महामंत्री अरुण मैठानी एवं विनोद कनवासी, कोऑपरेटिव के पूर्व चेयरमैन गजेंद्र सिंह रावत, रामचंद्र गौड़, भुनेश जोशी और पूर्व मंडल अध्यक्ष अनुज डिमरी ने भी उनका स्वागत किया।

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संस्कृति, अध्यात्म और सेना की साझेदारी का उत्सव

देवभूमि कल्चरल फेस्टिवल का उद्देश्य उत्तराखंड की लोकसंस्कृति को बढ़ावा देना, स्थानीय शिल्पकारों को मंच प्रदान करना और पर्यटन को नई दिशा देना है। भारतीय सेना ने उत्तराखंड सरकार के साथ मिलकर इस महोत्सव का आयोजन किया, जिससे स्थानीय समुदाय को एक सशक्त मंच मिला है।

कार्यक्रम स्थल पर स्थानीय ग्रामवासियों, महिला समूहों और शिल्पकारों ने हस्तशिल्प, पारंपरिक भोजन, ऊनी वस्त्र और स्थानीय उत्पादों के स्टॉल लगाए। ये स्टॉल पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के आकर्षण का केंद्र बने रहे।

मुख्यमंत्री बोले- संस्कृति हमारी आत्मा है

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री धामी ने कहा, “उत्तराखंड की संस्कृति हमारी पहचान और आत्मा है। इसे संरक्षित और सशक्त बनाना हमारी जिम्मेदारी है। देवभूमि कल्चरल फेस्टिवल इसी दिशा में एक प्रेरणादायक कदम है।”

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पारंपरिक कला, संगीत, नृत्य और लोक साहित्य को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। धामी ने यह भी कहा कि बद्रीनाथ को विश्व स्तर पर आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा।

स्थानीय सहभागिता से निखरा आयोजन

फेस्टिवल में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग, विद्यार्थी, सेना के जवान और पर्यटक शामिल हुए। मंच पर लोक कलाकारों ने गरवाल और कुमाऊं की पारंपरिक झोड़ा, छपेली और तांदी नृत्य प्रस्तुत किए। ढोल-दमाऊं की थाप पर लोग झूम उठे।

स्थानीय शिल्पकारों ने पारंपरिक आभूषण, मिट्टी के बर्तन, ऊनी वस्त्र और लकड़ी के शिल्प प्रदर्शित किए। ग्राम महिला समितियों द्वारा बनाए गए ऑर्गेनिक उत्पादों की भी जमकर बिक्री हुई।

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पर्यटकों में दिखा उत्साह

फेस्टिवल में पर्यटकों ने स्थानीय व्यंजन चखे और लोककलाओं का आनंद लिया। भारतीय सेना द्वारा लगाई गई फोटो गैलरी और बैंड प्रदर्शन ने दर्शकों का ध्यान खींचा। मुख्यमंत्री ने सेना के अधिकारियों की सराहना करते हुए कहा कि उनकी भागीदारी से इस आयोजन को गौरव और अनुशासन का नया आयाम मिला है।

फेस्टिवल ने दिया “एक भारत–श्रेष्ठ भारत” का संदेश

इस आयोजन ने उत्तराखंड की सांस्कृतिक आत्मा को न केवल प्रदेश में बल्कि देशभर में एक नई पहचान दी। मुख्यमंत्री ने सभी प्रतिभागियों, स्थानीय प्रशासन और सेना के अधिकारियों को बधाई दी और कहा कि आने वाले वर्षों में इस आयोजन को और बड़े स्तर पर मनाया जाएगा।

Location : 
  • Chamoli

Published : 
  • 26 October 2025, 4:31 PM IST