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कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय उसवाबाबू में सोमवार को एक संवेदनशील स्थिति पैदा हो गई। वार्डन अर्चना पांडेय की ज्वाइनिंग को लेकर छात्राओं और अभिभावकों ने जोरदार विरोध किया। छात्राओं में वार्डन के प्रति इतना भय और अविश्वास देखा गया कि बड़ी संख्या में छात्राओं ने विद्यालय छोड़ने का फैसला लिया।
छात्राएं हुई स्कूल छोड़ने को मजबूर
Gorakhpur: कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय उसवाबाबू में सोमवार को एक संवेदनशील स्थिति पैदा हो गई। वार्डन अर्चना पांडेय की ज्वाइनिंग को लेकर छात्राओं और अभिभावकों ने जोरदार विरोध किया। छात्राओं में वार्डन के प्रति इतना भय और अविश्वास देखा गया कि बड़ी संख्या में छात्राओं ने विद्यालय छोड़ने का फैसला लिया। हालांकि विभागीय अधिकारियों ने केवल 12 छात्राओं के छोड़ने की पुष्टि की है, लेकिन मीडिया सर्वे में यह संख्या 80 से अधिक बताई गई है।
कुछ दिन पहले वार्डन अर्चना पांडेय और छात्राओं के बीच विवाद बढ़ गया था। शिकायत मिलने पर उन्हें निलंबित कर दिया गया। वार्डन ने इस कार्रवाई को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का रुख किया। हाईकोर्ट ने उन्हें पुनः ज्वाइनिंग का आदेश दिया, लेकिन छात्राओं और अभिभावकों के विरोध के चलते उन्हें विद्यालय लौटने में कठिनाई हुई। इसके बाद वार्डन ने अधिकारियों पर अवमानना का प्रकरण दर्ज कराया। न्यायालय ने अधिकारियों को आदेश अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
सोमवार को डीसी बालिका पंकज सिंह और खंड शिक्षा अधिकारी सावन दुबे वार्डन को ज्वाइन कराने विद्यालय पहुंचे। उनके पहुंचने के साथ ही परिसर में विरोध, नारेबाजी और तनाव का माहौल बन गया। कई छात्राओं ने रोते हुए कहा कि वार्डन उनके साथ कठोर व्यवहार करती हैं और ‘तालिबानी’ जैसी सजा देती हैं। अभिभावकों ने साफ कहा कि वे अपनी बेटियों की सुरक्षा खतरे में नहीं छोड़ सकते।
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विद्यालय में शिक्षण कार्य पूरी तरह प्रभावित है। प्रशासन न्यायालयीय आदेश और छात्राओं की सुरक्षा एवं मानसिक स्वास्थ्य के बीच संतुलन बनाने की चुनौती से जूझ रहा है। यह मामला केवल विद्यालय या वार्डन का नहीं, बल्कि बालिका शिक्षा एवं सुरक्षा व्यवस्था की विश्वसनीयता का प्रश्न बन चुका है। अब सभी निगाहें उच्च स्तरीय निर्णय और समाधान पर टिकी हैं, जो इस विवाद के भविष्य की रूपरेखा तय करेंगे।