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इटावा के सैफाई क्षेत्र में एक दंपती की दर्दनाक मौत ने पूरे गांव को भावुक कर दिया। पति की मौत के दो घंटे बाद पत्नी ने भी सदमे में दम तोड़ दिया। गांव में प्रेम और स्नेह की मिसाल माने जाने वाले इस दंपती का अंतिम संस्कार साथ में किया गया।
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Etawah: सैफाई क्षेत्र के ग्राम विष्णुपुर में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जिसने पूरे गांव को भावुक कर दिया। यहां एक बुजुर्ग दंपती ने जैसे जीवनभर साथ निभाया, वैसे ही जीवन का अंतिम सफर भी साथ-साथ तय किया। पति की मौत के करीब दो घंटे बाद पत्नी ने भी दम तोड़ दिया। दोनों का अंतिम संस्कार सोमवार देर शाम एक साथ किया गया, जहां ग्रामीणों की आंखें नम हो गई।
क्या है पूरा मामला?
गांव के 75 वर्षीय राजबहादुर पिछले एक सप्ताह से बीमार चल रहे थे। परिवार वालों के अनुसार उनकी हालत रविवार शाम अचानक बिगड़ गई और रात करीब आठ बजे उन्होंने घर पर ही अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर घर में पहुंचते ही माहौल शोक में डूब गया। चारों पुत्र दलवीर सिंह, सुरजन सिंह, रघुराज सिंह और मनोज कुमार पिता को संभालने में लगे थे, तभी एक और दुख की घड़ी सामने आ गई।
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पति के बाद पत्नी की हालत बिगड़ी
पत्नी अनारश्री (70 वर्ष) को जैसे ही पति की मौत की जानकारी दी गई, वह सहन नहीं कर सकीं। बेटों ने बताया कि मां अचानक असहज हो गई और बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ीं। परिजन तुरंत उन्हें एंबुलेंस से उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैफई ले गए, जहां चिकित्सकों ने जांच के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया। डॉक्टरों ने बताया कि सदमे से उनकी हालत बिगड़ी और हृदय गति रुकने से उनकी मृत्यु हो गई।
गांव में मिसाल थी दंपती की जोड़ी
स्वजन और ग्रामीणों के अनुसार राजबहादुर और अनारश्री की जोड़ी गांव में प्रेम और समर्पण की मिसाल मानी जाती थी। दोनों हमेशा साथ रहते थे और जीवनभर कभी किसी प्रकार का विवाद नहीं हुआ। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि दोनों को अक्सर खेतों, आंगन या मंदिर में साथ-साथ ही देखा जाता था। एक बेटे ने भावुक होकर कहा, “हमारे माता-पिता एक-दूसरे से बहुत प्रेम करते थे। पिता की मौत के सदमे को मां बर्दाश्त नहीं कर सकीं। दोनों का जाना हमारे लिए बड़ी चोट है, लेकिन यह भी सुकून है कि वे साथ-साथ गए।”
गांव भर में शोक की लहर
दंपती के निधन की खबर जैसे ही फैली, गांव में शोक की लहर दौड़ गई। ग्रामीण बड़ी संख्या में उनके घर पहुंचे और परिवार को ढांढस बंधाया। गांव के लोगों ने कहा कि ऐसा विरले ही देखने को मिलता है, जब दंपती एक साथ दुनिया छोड़ दें। कई लोगों के अनुसार यह घटना दर्शाती है कि दोनों के बीच संबंध कितना मजबूत था। ग्रामीणों ने दोनों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि जीवनभर प्रेम में बंधी यह जोड़ी आखिरी यात्रा तक साथ रही।
एक साथ उठाई गई अर्थियां
सोमवार देर शाम दोनों का अंतिम संस्कार गांव के श्मशान घाट पर किया गया। एक तरफ बेटों की आंखों में मां-बाप को एक साथ खोने का गहरा दुःख था, वहीं ग्रामीण भी भावुक होकर अश्रुपूर्ण विदाई दे रहे थे। दोनों की अर्थियां एक साथ उठते ही माहौल गमगीन हो गया। बच्चों ने नम आंखों से माता-पिता की चिता को मुखाग्नि दी।
परिवार पर टूटा दुख का पहाड़
चारों भाइयों ने बताया कि माता-पिता हमेशा उनके लिए शक्ति और प्रेरणा का स्रोत रहे। एक सप्ताह से बीमार पिता की चिंता तो थी, लेकिन यह कभी नहीं सोचा था कि मां भी उनके पीछे इतनी जल्दी चली जाएंगी। परिवार अब दोहरी क्षति के दुख से उबरने की कोशिश कर रहा है।