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भारत सरकार ने 15 हाई-प्रोफाइल आर्थिक अपराधियों को FEO घोषित किया है, जिनमें नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और विजय माल्या शामिल हैं। इन भगोड़ों ने सरकारी बैंकों को 58,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान पहुंचाया है। 19,187 करोड़ रुपये की वसूली हो चुकी है, जबकि सरकार ने नए रोकथाम कानून से जुड़े किसी प्रस्ताव से इनकार किया है।
नीरव मोदी और माल्या
New Delhi: भारत सरकार ने देश से आर्थिक अपराध कर फरार हुए 15 हाई-प्रोफाइल घोटालेबाज़ों को भगोड़ा आर्थिक अपराधी (FEO) घोषित किया है। नीरव मोदी, मेहुल चोकसी, विजय माल्या, नितिन संदेसरा, चेतन संदेसरा और सुधीर एस. वेंकटरमण सहित इन भगोड़ों ने मिलकर सरकारी बैंकों और संस्थानों को 58,000 करोड़ रुपये से अधिक का चूना लगाया है।
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने सोमवार को लोकसभा में एक लिखित जवाब में बताया कि केंद्र सरकार ने भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम 2018 के तहत अब तक 15 आरोपियों को आधिकारिक रूप से FEO घोषित किया है। इनमें 9 आर्थिक अपराधी वे हैं जिन्होंने सरकारी बैंकों से बड़े पैमाने पर फाइनेंशियल फ्रॉड किया।
58,000 करोड़ की चपत
कई सरकारी बैंकों जिनमें बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया, यूको बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक और पंजाब एंड सिंध बैंक शामिल हैं ने इन अपराधियों द्वारा किए गए धोखाधड़ी के मामलों में भारी वित्तीय नुकसान की रिपोर्ट की है।
सरकार द्वारा जारी डेटा के अनुसार 26,645 करोड़ रुपये का प्रिंसिपल बकाया 31,437 करोड़ रुपये का ब्याज यानी कुल मिलाकर 58,000 करोड़ रुपये से अधिक की देनदारी इन 15 भगोड़ों पर दर्ज है।
अब तक 19,187 करोड़ रुपये रिकवर किए जा चुके हैं, जिनमें से 1,630 करोड़ रुपये वन-टाइम सेटलमेंट (OTS) के तहत बातचीत में वसूल किए गए हैं। इसके अलावा 3,542 करोड़ रुपये की राशि डिस्काउंट कंसेशन के रूप में दर्ज है।
कौन-कौन शामिल हैं इस सूची में?
यह सभी आरोपी लंबे समय से विदेशों में छिपे हुए हैं और प्रत्यर्पण की प्रक्रिया कई मामलों में कानूनी उलझनों के कारण लंबी खिंच रही है।
OTS के जरिए सेटलमेंट पर भी आगे बढ़ी बातचीत
मंत्री चौधरी ने बताया कि इन भगोड़ों में से दो अपराधियों ने वन-टाइम सेटलमेंट सिस्टम के तहत अपने बकाया लोन के सेटलमेंट के लिए बैंकों से बातचीत की है। हालांकि सरकार ने यह स्पष्ट किया कि FEO घोषित किए जाने के बाद उनकी संपत्तियों की कुर्की और नीलामी की प्रक्रिया पहले से ही जारी है, और रिकवरी को ही प्राथमिकता दी जाएगी।
क्या सरकार बना रही है कोई नई पॉलिसी?
लोकसभा में जब पूछा गया कि क्या भविष्य में ऐसे अपराधियों को देश से भागने से रोकने के लिए सरकार किसी नई नीति पर विचार कर रही है, तो इस पर वित्त राज्य मंत्री ने साफ किया कि फिलहाल ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में FEO कानून और प्रवर्तन निदेशालय (ED), सीबीआई तथा इकोनॉमिक ऑफेंसेज विंग (EOW) की संयुक्त कार्रवाइयाँ काफी प्रभावी रूप से काम कर रही हैं।
देश की अर्थव्यवस्था पर गहरी चोट
बैंकिंग सेक्टर से 58,000 करोड़ रुपये से अधिक की गैर-निष्पादित संपत्ति (NPA) ने देश की वित्तीय संरचना पर गंभीर असर छोड़ा है। विशेषज्ञों का मानना है कि FEO कानून ने मजबूत कार्रवाई का रास्ता खोला है, लेकिन अपराधियों के विदेश भागने से रोकने के लिए और अधिक कड़े उपायों की जरूरत है।