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गोरखपुर के गोला तहसील क्षेत्र में सरयू नहर में अब तक पानी न पहुंचने से किसान सिंचाई संकट से जूझ रहे हैं। गेहूं की फसल तैयार है लेकिन पहली सिंचाई न होने से खेतों में दरारें पड़ने लगी हैं। किसानों में नहर विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर भारी आक्रोश है।
सरयू नहर
Gorakhpur: दिसंबर के तीन सप्ताह बीत जाने के बावजूद गोला तहसील क्षेत्र की जीवनरेखा मानी जाने वाली बारा नगर सरयू नहर में अब तक पानी नहीं पहुंच सका है। नहर सूखी रहने से उस पर निर्भर हजारों किसान गंभीर सिंचाई संकट से जूझ रहे हैं। खेतों में गेहूं की फसल उग चुकी है लेकिन पहली सिंचाई का समय निकलता जा रहा है। जिससे किसानों की चिंता लगातार बढ़ती जा रही है।
किसानों के मुताबिक, नवंबर में ही अधिकतर क्षेत्रों में गेहूं की बुवाई पूरी हो चुकी थी। अब फसल की अच्छी बढ़वार के लिए पहली सिंचाई बेहद जरूरी है। नहर में पानी न आने से खेतों में दरारें पड़ने लगी हैं। किसानों ने कहना है कि यदि समय रहते पानी नहीं मिला तो गेहूं की पैद वार पर सीधा और गंभीर असर पड़ेगा। हालात ऐसे हैं कि किसानों की जुबान पर यही कहावत है। अब पछताए होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत।
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क्षेत्र के किसानों में नहर विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर गहरा आक्रोश व्याप्त है। करीब चार दशक पहले किसानों के खेतों में हरित क्रांति लाने के मकसद से गोला तहसील के ग्राम बारानगर में सरयू नहर पंप की स्थापना की गई थी। यहां से मुख्य नहर भेड़ी ताल तक पहुंचाई गई। इसके साथ कई छोटी-छोटी शाखाएं भी निकाली गईं ताकि हेड से लेकर टेल तक सभी किसानों को सिंचाई का लाभ मिल सके। हालांकि, हकीकत यह है कि आज भी कई शाखाओं तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है।
किसानों का आरोप है कि नहर निर्माण के दौरान उनकी कीमती कृषि भूमि अधिग्रहित की गई थी। नहर के भरोसे कई किसानों ने अपने निजी ट्यूबवेल भी बंद कर दिए लेकिन वर्षों बीत जाने के बाद भी उन्हें नहर का पानी नसीब नहीं हुआ। कुछ किसानों का कहना है कि चार दशक गुजर जाने के बावजूद वे आज भी नहर में पानी आने का इंतजार ही कर रहे हैं।
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इस मामले में अवर अभियंता (नहर) रामानंद यादव का कहना है कि नहर की सफाई का कार्य पूरा कर लिया गया है। पानी छोड़ दिया गया है। गोला क्षेत्र तक पानी पहुंचने में थोड़ा समय लगेगा। अब नहर में लगातार जल प्रवाह रहेगा।