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सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने महाराणा प्रताप की जयंती पर एक बड़ी मांग की है, और उन्होंने कहा- ‘महापुरुषों का राजनीति में इस्तेमाल नहीं होना चाहिए।’ पढ़ें डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव
लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने महाराणा प्रताप की जयंती पर दो दिन के सार्वजनिक अवकाश की मांग की है। उन्होंने कहा कि जब उनकी पार्टी सत्ता में आएगी, तो गोमती रिवरफंट पर महाराणा प्रताप की एक भव्य मूर्ति स्थापित की जाएगी, जिसमें महाराणा के हाथ में चमकती हुई सोने की तलवार होगी। यह घोषणा उन्होंने प्रदेश सपा मुख्यालय पर आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में की।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, अखिलेश यादव ने स्पष्ट किया कि भारतीय राजनीति में महापुरुषों का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए और न ही किसी दल को उनके नाम पर लाभ उठाने की कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने कहा, "महाराणा प्रताप किसी एक जाति के नायक नहीं हैं, बल्कि वे सभी जातियों के लिए प्रतीक हैं। हमें उन्हें उसी तरह सम्मानित करना चाहिए।"
उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि पार्टी के एजेंडे में न तो रोजगार का प्रावधान है और न ही कारोबार का। भाजपा का असली उद्देश्य है कि वे सैकड़ों वर्षों से लग रहे मेलों का विरोध करें, ताकि सामाजिक समरसता को प्रभावित किया जा सके। यह बयान उन्होंने उस समय दिया जब देश युद्ध के हालात में है और सरकार गुपचुप तरीके से एलओआई (आशय पत्र) जारी कर रही है।
सपा अध्यक्ष ने कहा कि उनकी पार्टी की सरकार बनने पर, महाराणा प्रताप की प्रतिमा के साथ-साथ उनके जीवन, शौर्य और बलिदान को जन-जन तक पहुँचाने का काम किया जाएगा। उनका मानना है कि यह न केवल एक सम्मान होगा, बल्कि युवा पीढ़ी को प्रेरित करने का भी माध्यम बनेगा।
इस अवसर पर, प्रदेश सपा मुख्यालय में क्षत्रियों के प्रबुद्ध सम्मेलन का आयोजन भी किया गया, जिसमें पूर्व मंत्री अरविंद सिंह गोप, पूर्व एमएलसी उदयवीर सिंह, और पूर्व सांसद अरविंद सिंह का विशेष सहयोग रहा। सम्मेलन में विभिन्न क्षत्रिय नेताओं ने भाग लिया और सामाजिक एकता और समर्पण की बात की।
अखिलेश यादव की यह मांग और उनके द्वारा किए गए दावे आगामी चुनावों के लिए महत्वपूर्ण राजनीतिक संदेश देते हैं, जहां वे सपा को एक मजबूत विकल्प के रूप में पेश करने का प्रयास कर रहे हैं। उनका जोर इस बात पर है कि उनकी पार्टी यदि सत्ता में आती है, तो वह सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करेगी, और लोगों को रोजगार और कारोबार के पर्याप्त अवसर प्रदान करेगी।
इस प्रकार, अखिलेश यादव का यह बयान बीजेपी पर उनकी रणनीतिक आलोचना का हिस्सा है, साथ ही वह अपनी पार्टी के युवा कार्यकर्ताओं को प्रेरित करने का भी प्रयास कर रहे हैं। अब देखना होगा कि उनकी मांगों पर सरकार और अन्य राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया क्या होती है।