सरकारी स्कूलों के मर्जर पर सपा सांसद डिंपल यादव ने जताया विरोध, डीएम को लिखा पत्र

मैनपुरी की सांसद डिंपल यादव ने जिले में सरकारी स्कूलों के मर्ज/पेयर किए जाने के फैसले का विरोध जताया है। उन्होंने जिलाधिकारी (डीएम) को पत्र लिखकर इस निर्णय को हजारों बच्चों और उनके परिवारों के हितों के विरुद्ध बताया है। सांसद ने इस विषय पर 7 महत्वपूर्ण सवाल उठाते हुए पारदर्शिता की मांग की है।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 17 July 2025, 2:36 PM IST
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Mainpuri News: मैनपुरी से समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव ने जिले में सरकारी स्कूलों को मर्ज/पेयर किए जाने के निर्णय का विरोध किया है। उन्होंने जिलाधिकारी (डीएम) को एक पत्र लिखकर इस फैसले पर चिंता जताई है और कहा है कि यह कदम हजारों बच्चों के भविष्य को प्रभावित करेगा।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के अनुसार, पत्र में सांसद ने लिखा कि शासन का यह निर्णय शिक्षण व्यवस्था को कमजोर करने वाला है और इससे शिक्षा की पहुंच और गुणवत्ता दोनों पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।

बिना अभिभावकों की सहमति के लिया गया फैसला?

सांसद डिंपल यादव ने अपने पत्र में यह भी उल्लेख किया है कि बच्चों के अभिभावकों से न तो कोई लिखित सहमति ली गई और न ही उन्हें इस निर्णय के बारे में पहले से सूचित किया गया। यह न केवल प्रशासनिक पारदर्शिता की कमी को दिखाता है, बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया की भी अनदेखी है। उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार शिक्षा को सबके लिए सुलभ और बेहतर बनाने की बात करती है, वहीं दूसरी ओर स्कूलों का विलय करके बच्चों और अभिभावकों को परेशान किया जा रहा है।

डीएम से मांगे 7 सवालों के जवाब

सांसद डिंपल यादव ने अपने पत्र में डीएम से सात अहम सवालों के जवाब मांगे हैं, जिनमें प्रमुख हैं।
1- इस आदेश से प्रभावित विद्यार्थियों का आय स्तर के आधार पर वर्गीकरण (निम्न आय वर्ग, मध्यम आय वर्ग, उच्च आय वर्ग)।
2- जातिगत वर्गीकरण अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग के कितने विद्यार्थी प्रभावित होंगे, इसका स्पष्ट विवरण।
3- कुल प्रभावित बच्चों की संख्या तथा ग्रामवार और ब्लॉकवार सूची।
4- विद्यालय बंद होने के बाद वैकल्पिक परिवहन व्यवस्था क्या प्रस्तावित की गई है, इसकी जानकारी।
5- क्या बच्चों के अभिभावकों से इस फैसले पर कोई लिखित सहमति या आपत्ति ली गई? यदि ली गई तो उन दस्तावेजों की प्रतियाँ प्रदान की जाए।
6- जिन विद्यालयों को मर्ज किया गया है, उनके शिक्षकों, अनुदेशकों, शिक्षामित्रों, रसोइयों एवं अन्य चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को किस विद्यालय में नियुक्त किया गया है, इसकी सूची उपलब्ध कराने का कष्ट करें।
7- चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों में से कितने कर्मचारी ब्लॉक संसाधन केंद्रों पर तैनात किए गए हैं, उनकी भी सूची उपलब्ध कराई जाए।
डिंपल यादव ने कहा कि इन सवालों का उत्तर देना प्रशासन की जिम्मेदारी है और पारदर्शिता सुनिश्चित करना आवश्यक है।

छात्रों और अभिभावकों में बढ़ी बेचैनी

इस स्कूल मर्जर की प्रक्रिया से न सिर्फ शिक्षक और स्टाफ प्रभावित हुए हैं, बल्कि बच्चों और उनके अभिभावकों में भी चिंता का माहौल है। कई स्थानों पर स्कूल दूर चले जाने से बच्चों की शिक्षा बाधित हो सकती है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह समस्या और गंभीर बन जाती है, जहाँ परिवहन की सुविधा सीमित होती है।

शिक्षा व्यवस्था के लिए नुकसानदेह निर्णय?

डिंपल यादव का मानना है कि इस तरह के फैसले शिक्षकों की संख्या घटाने, स्कूलों में भीड़ बढ़ाने और बच्चों को शिक्षा से विमुख करने का काम करेंगे। उन्होंने कहा कि शिक्षा का अधिकार सभी बच्चों का मौलिक हक है और सरकार को नीतियाँ बनाते समय जमीनी हकीकतों को समझना चाहिए।

राजनीतिक हलकों में हलचल

सांसद के इस पत्र के बाद मैनपुरी की शिक्षा व्यवस्था को लेकर राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है। अब सबकी नजरें डीएम की ओर हैं कि वे इन सवालों का क्या जवाब देते हैं और आगे की कार्यवाही क्या होती है।

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