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गोरखपुर में एसआईआर प्रक्रिया के तहत 3.24 लाख से ज्यादा मतदाता मैपिंग से बाहर पाए गए हैं। प्रशासन और राजनीतिक दलों के बीच इसे लेकर मंथन तेज हो गया है। उप जिला निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि एसआईआर मतदाता का अधिकार छीनना नहीं है।
कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित बैठक
Gorakhpur: मतदाता सूची को दुरुस्त करने के लिए चल रही एसआईआर यानी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन प्रक्रिया अब अपने आखिरी मोड़ पर है। जैसे-जैसे प्रक्रिया समाप्ति की ओर बढ़ रही है। वैसे-वैसे सामने आ रहे आंकड़े प्रशासन से लेकर राजनीतिक दलों तक की चिंता बढ़ा रहे हैं। जिले में बड़ी संख्या में ऐसे मतदाता सामने आए हैं। जिनका सत्यापन और मैपिंग नहीं हो पाई है। अगर समय रहते इनका समाधान नहीं हुआ। हजारों नाम मतदाता सूची से हट सकते हैं। यह आने वाले चुनावों में बड़ा मुद्दा बन सकता है।
जनपद गोरखपुर में एसआईआर प्रक्रिया के अंतिम दिन जो आंकड़े सामने आए हैं। जिले में कुल 3,24,896 मतदाता ऐसे पाए गए हैं। जिनकी मैपिंग नहीं हो सकी है। यह संख्या जिले के कुल 36,66,533 मतदाताओं का करीब 8.86 प्रतिशत है। इन मतदाताओं का मिलान वर्ष 2003 की मूल मतदाता सूची से भी नहीं हो पाया है। ऐसे में इन नामों के विलोपित होने की आशंका और गहरी हो गई है।
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यह जानकारी पर्यटन भवन स्थित कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित बैठक के दौरान अपर जिलाधिकारी वित्त एवं उप जिला निर्वाचन अधिकारी विनीत कुमार सिंह ने राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ साझा की। बैठक में एसआईआर की प्रगति, जमीनी दिक्कतों और आगे की रणनीति पर विस्तार से चर्चा हुई। अधिकारियों ने बताया कि जिन मतदाताओं का सत्यापन वर्तमान पते पर नहीं हो सका है। उन्हें बीएलओ के जरिए उनके पंजीकृत पते पर नोटिस भेजा जाएगा। तय समय में जवाब न मिलने या संतोषजनक जवाब न होने की स्थिति में नाम मतदाता सूची से हटाया जा सकता है।
विधानसभा क्षेत्रवार स्थिति भी चिंता बढ़ाने वाली है। पिपराइच, कैम्पियरगंज, गोरखपुर रूरल, चिल्लूपार और बांसगांव जैसे क्षेत्रों में सबसे ज्यादा मतदाता मैपिंग से बाहर पाए गए हैं। इसके अलावा गोरखपुर अर्बन, सहजनवां, खजनी और चौरी-चौरा में भी हजारों नाम संदेह के दायरे में हैं। प्रशासन का कहना है कि मृत्यु, स्थानांतरण, लंबे समय से अनुपस्थिति और पुराने रिकॉर्ड से मेल न खाने जैसे कारण इसकी मुख्य वजह हैं।
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उप जिला निर्वाचन अधिकारी विनीत कुमार सिंह ने बताया कि एसआईआर का मकसद किसी भी पात्र मतदाता का अधिकार छीनना नहीं है। सूची को साफ, पारदर्शी और भरोसेमंद बनाना है। उन्होंने राजनीतिक दलों से अपील की कि वे लोगों को जागरूक करें। जिससे कोई भी वास्तविक मतदाता सूची से बाहर न रह जाए। बैठक में मौजूद दलों ने भी मांग की कि बिना नोटिस और सुनवाई के किसी का नाम न हटे। जिस पर प्रशासन ने भरोसा दिलाया।