Sawan 2025: सिसवा क्षेत्र में एक ऐसा स्थान जहां भगवान शिव ने धारण किया था बउरहवा रूप

महराजगंज जिले से 22 किलोमीटर दूर सिसवा-घुघली मार्ग पर घिवहां उर्फ हरपुर पकड़ी गांव में बउरहवा बाबा मंदिर श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र है। इस प्राचीन मंदिर के बारे में मान्यता है कि भगवान शिव इस स्थान पर बउरहवा रूप धारण किए थे।

Post Published By: Rohit Goyal
Updated : 11 July 2025, 2:57 PM IST
google-preferred

Maharajganj: महराजगंज जिले से 22 किलोमीटर दूर सिसवा-घुघली मार्ग पर घिवहां उर्फ हरपुर पकड़ी गांव में बउरहवा बाबा मंदिर श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र है। जहां प्रतिदिन मंदिर पर लोगों का भीड़ लगा रहता है। इस प्राचीन मंदिर के बारे में मान्यता है कि भगवान शिव इस स्थान पर बउरहवा रूप धारण किए थे।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार श्रावण मास का प्रारंभ इस बार शुक्रवार से शुरू हुआ है। भगवान भोलनाथ के भक्त पूरे सावन महीने अपने आराध्य का जलाभिषेक करेंगे। उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले के सिसवा क्षेत्र में एक ऐसा स्थान जहां भगवान शिव के बउरहवा रूप धारण करने की पौराणिक कथाएं है। बता दे कि सिसवा-घुघली मार्ग पर घिवहां उर्फ हरपुर पकड़़ी गांव में स्थित बउरहवा बाबा मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ बाबा भोलेनाथ के शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए लंबी लाइन लगाकर अपनी बारी आने का इंतजार करना पड़ता है।

Sawan 2025: शिवभक्त ध्यान दें; इस पवित्र महीने में भूलकर भी न करें ये काम

जनश्रुतियों के अनुसार वर्षों पूर्व एक निःसंतान घी के व्यापारी घृतवाह को संतान प्राप्ति के लिए बउरहवा बाबा का स्वप्न में दर्शन हुआ। इस पर घृतवाह ने घिवहां में जमीन से निकले शिवलिंग की खोजकर कई दिनों तक भगवान शिव की पूजा-अर्चना की। इसके उपरान्त घृतवाह को भगवान शिव का दर्शन हुआ। भगवान शिव ने उसे पुत्रवान बनने का आर्शीवाद दिया। शिव की कृपा से व्यापारी को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई।

साधू वेषधारी महात्मा प्रकट होकर बने बउरहवा

दूसरी जनश्रुति के अनुसार भगवान शिव और माता पार्वती काशीनगरी से हिमालय की ओर जा रहे थे। साधू वेषधारी महात्सा 'प्रकट हुए थे। रास्ते में इसी स्थान 'पर माता उमा के आग्रह पर भगवान शिव ने बउरहवा रूप धारण किया था। तभी से इस स्थान का नाम बउरहवा बाबा पड़ गया। यह आज भी सिद्ध स्थान के रूप में जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से बउरहवा बाबा को बेलपत्र चढ़ाकर 108 बार जलाभिषेक करता है, बउरहवा बाबा उसकी मनोकामना जरूर पूरी करते हैं।

जंगलों में बसा चार हजार साल पुराना कटहरा शिव मंदिर, बौद्धकालीन इतिहास

चार खंडों में स्थापित है मंदिर

बउरहवा बाबा मंदिर को चार खंडों में निर्मित कराया गया है। इस मंदिर में धरती से प्रकट बउरहवा बाबा शिवलिंग प्रथम खंड में सथापित हैं। दूसरे खंड में विष्णु-लक्ष्म, तीसरे खंड में मां जगदम्बा का स्थान दिया गया है। 70 फुट ऊंचे आकाशीय खंड पर महादेव शिव की प्रतिमा मंदिर क भीतर स्थापित की गई है। यहीं पर श्रावण मास के अतिरिक्त महाशिवरात्रि के अलावा प्रत्येक सोमवार को भक्तों का 'जनसैलाब देखने को मिलता है।

अंतिम सोमवार को उमड़़ती हैं लाखों भक्तों की भीड़

वैसे तो इस मंदिर पर पूरे सावन भर मेला लगा रहता है। लेकिन सावन के अंतिम 'सोमवार को मेले की रौनक कुछ अलग होती है। अंतिम सोमवार के दो दिन पूर्व क्षेत्र के लाखों कांवड़िए नेपाल के त्रिवेणी धाम से जल भरकर पदयात्रा कर रविवार की रात में सिसवा पहुंचते हैं। जहां रात्रि विश्राम के बाद अगले दिन भोर से लेकर पूरे दिन कांवड़िए बाबा का जलाभिषेक करते हैं।

Location : 

Published :