

जनपद में प्राकृतिक वनों के बीच स्थित कटहरा का प्राचीन शिव मंदिर आस्था का एक ऐसा केंद्र है, जो अपनी ऐतिहासिकता और मान्यताओं के कारण हर वर्ष हजारों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है।
कटहरा शिव मंदिर
Maharajganj: जनपद में प्राकृतिक वनों के बीच स्थित कटहरा का प्राचीन शिव मंदिर आस्था का एक ऐसा केंद्र है, जो अपनी ऐतिहासिकता और मान्यताओं के कारण हर वर्ष हजारों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है।
बौद्ध काल से जुड़ी मान्यता
स्थानीय जनश्रुतियों और मान्यताओं के अनुसार, कटहरा शिव मंदिर का इतिहास लगभग चार हजार साल पुराना माना जाता है। विद्वानों का मानना है कि यह क्षेत्र बौद्ध कालीन धरोहरों में गिना जाता है। कहा जाता है कि भगवान बुद्ध की माता माता गौतमी, जब गर्भवती थीं, तो लुम्बिनी जाते समय इसी मार्ग से होकर निकली थीं। इस कारण से भी यह स्थल बौद्ध अनुयायियों में भी श्रद्धा का विषय है।
प्रकृति की गोद में बसा अलौकिक धाम
कटहरा शिव मंदिर घने जंगलों और हरियाली से घिरा हुआ है। प्राकृतिक वातावरण में बसा यह मंदिर श्रद्धालुओं को शांति और अध्यात्मिक ऊर्जा से भर देता है। यहां आने वाले भक्त मानते हैं कि शिवलिंग स्वयंभू है और यह स्थल मिनी बाबा धाम इटहिया की तरह श्रद्धा का दूसरा बड़ा केंद्र बनता जा रहा है।
सावन और महाशिवरात्रि पर लगता है श्रद्धालुओं का मेला
हर वर्ष सावन माह में विशेष जलाभिषेक और पूजा-अर्चना के लिए भक्तजन भारी संख्या में यहां जुटते हैं। इसके अलावा महाशिवरात्रि के अवसर पर दूर-दराज़ के गांवों से श्रद्धालु पहुंचकर रात्रि जागरण और भव्य पूजा का आयोजन करते हैं।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार स्थानीय श्रद्धालु गंगा जल लाकर शिवलिंग का अभिषेक करते हैं और अपनी मनोकामनाएं भगवान शिव के चरणों में रखते हैं। मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई मुरादें अवश्य पूरी होती हैं।
स्थानीय लोगों के अनुसार कटहरा शिव मंदिर है चमत्कारी
गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि कटहरा के शिवलिंग की स्थापना स्वयं भूगर्भ से हुई थी। आज भी कोई नहीं जानता कि यह शिवलिंग कितना गहरा है। कई श्रद्धालु इसे चमत्कारी मानते हैं। कई स्थानीय निवासियों ने बताया कि हमारे पूर्वज भी इस मंदिर में पूजा करते थे। सावन में तो यहां श्रद्धालुओं की इतनी भीड़ होती है कि पूरा जंगल शिव भक्तों से गुलजार हो जाता है।
पर्यटन और धरोहर के रूप में संरक्षण की दरकार
कटहरा शिव मंदिर महराजगंज जनपद की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर है। स्थानीय लोग चाहते हैं कि इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए, ताकि यहां के ऐतिहासिक महत्व को नई पहचान मिल सके और दूर-दूर से श्रद्धालु और पर्यटक यहां आ सकें।