रायबरेली: नवरात्रि से पहले व्यापारियों ने जताई नाराजगी, दी ये बड़ी चेतावनी

रायबरेली में नवरात्रि से पहले अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया गया, जिसमें ट्रैफिक पुलिस ने 30 चालान किए और दो नोटिस जारी किए। व्यापारियों ने दुर्व्यवहार और भेदभाव का आरोप लगाया। विधायक अदिति सिंह ने बिना अनुमति अभियान चलाने पर नाराजगी जताई और गरीब दुकानदारों को न हटाने की चेतावनी दी।

Raebareli: रायबरेली में नवरात्रि व आगामी त्योहारों को देखते हुए यातायात पुलिस और नगर पालिका की संयुक्त टीम ने सुपर मार्केट से रेलवे स्टेशन तक के व्यस्त क्षेत्रों में विशेष अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया। ट्रैफिक इंस्पेक्टर इंद्रपाल सिंह सेंगर के नेतृत्व में इस अभियान के तहत 30 चालान और 2 नोटिस जारी किए गए। टीम ने सड़कों पर लगे टीन शेड, ठेले और फुटपाथ पर फैले सामान को हटवाया, जिससे सड़कों पर सुगम यातायात सुनिश्चित किया जा सके।

व्यापारियों में रोष

इस कार्रवाई को लेकर स्थानीय व्यापारियों और छोटे दुकानदारों में गहरा रोष है। आरोप है कि ट्रैफिक पुलिस ने त्योहारों के अवसर पर सजी दुकानों को अतिक्रमण बताकर चालान किए, जबकि सड़क पर खींची गई सफेद पट्टी के भीतर खड़ी बाइक को भी चालान कर दिया गया।

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व्यापारियों ने आरोप लगाया कि ट्रैफिक इंस्पेक्टर ने कहा, "दुकान के सामने सिर्फ एक बाइक खड़ी हो सकती है"। फल विक्रेताओं को दो-दो किलो फल उठाकर चले जाने को कहा गया, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ा।

 मंडल व युवा अध्यक्ष ने दी शिकायत

प्रदेश युवा अध्यक्ष अतुल कुमार गुप्ता ने इस मामले की शिकायत अपर पुलिस अधीक्षक संजीव सिन्हा और सदर क्षेत्राधिकारी अमित सिंह से की। अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि किसी भी व्यापारी या दुकानदार के साथ जबरदस्ती नहीं की जाएगी। जिला अध्यक्ष प्रभाकर गुप्ता और नगर अध्यक्ष केके गुप्ता ने सवाल उठाया कि दीवानी कचहरी के पास वर्षों से फैले स्थायी अतिक्रमण पर कोई कार्रवाई नहीं होती, जबकि छोटे दुकानदारों को निशाना बनाया जा रहा है।

विधायक अदिति सिंह ने जताई नाराजगी

इस पूरे मामले पर सदर विधायक अदिति सिंह ने भी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने स्पष्ट कहा कि, "मेरी इजाजत के बिना किसी गरीब की दुकान हटाई गई तो जिम्मेदारों पर कार्रवाई होगी। यह मेरे विधानसभा क्षेत्र के लोग हैं, त्योहारी सीजन में इनकी रोज़ी-रोटी छीनी नहीं जाएगी।" विधायक ने प्रशासन को दुकानदारों के पक्ष में कार्रवाई की चेतावनी दी और कहा कि गरीबों की दुकानों को नहीं हटाया जाएगा।

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यह मामला एक ओर जहां अतिक्रमण हटाने की प्रशासनिक ज़रूरत को दर्शाता है, वहीं स्थानीय व्यापारियों और नेताओं की संवेदनशीलता भी सामने लाता है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन और जनप्रतिनिधि मिलकर कैसे संतुलन बनाते हैं ताकि जनसुविधा भी बनी रहे और दुकानदारों का रोजगार भी सुरक्षित रहे।

 

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