

सुल्तानपुर में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए जिला प्रशासन ने 979 पंचायतों में ‘कृषि सखियों’ की तैनाती शुरू की है, जो किसानों को प्राकृतिक खेती तकनीक सिखाएंगी।
सुल्तानपुर में जैविक खेती (सोर्स- इंटरनेट)
Sultanpur: सुल्तानपुर जिले में जैविक खेती को बढ़ावा देने और रसायन मुक्त अनाज उत्पादन के लिए जिला प्रशासन ने बड़ी पहल शुरू की है। बता दें कि जिला अधिकारी कुमार हर्ष और मुख्य विकास अधिकारी अंकुर कौशिक के निर्देश पर जिले की 979 ग्राम पंचायतों में ‘कृषि सखियों’ की तैनाती की जा रही है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार ये नियुक्तियां स्वयं सहायता समूहों (SHGs) के माध्यम से की जाएंगी, ताकि गांव-गांव में खेती की पारंपरिक व जैविक तकनीक को बढ़ावा दिया जा सके।
जैविक खेती किसानों के लिए वरदान साबितः चौधरी
जिला कृषि अधिकारी सदानंद चौधरी ने बताया कि जैविक खेती किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है। इससे उपज भी अधिक होगी और उत्पाद रसायन मुक्त होने के कारण स्वास्थ्यवर्धक भी रहेंगे।
जिला कृषि अधिकारी ने की अपील
जिला कृषि अधिकारी ने किसानों से अपील की कि ज्यादा से ज्यादा जैविक खेती अपनाएं, ताकि सुल्तानपुर जिले की पहचान एक मॉडल जैविक जिले के रूप में बने और देश के विकास में जिले का योगदान और सशक्त हो।
जैविक खेती का उद्देश्य
डीसी एनआरएलएम केडी गोस्वामी के अनुसार, इस पहल का मुख्य मकसद रासायनिक खाद व कीटनाशकों के बजाय प्राकृतिक संसाधनों से खेती को बढ़ावा देना है। इससे मिट्टी की उर्वरकता बरकरार रहेगी, लागत घटेगी और किसान अच्छी गुणवत्ता की फसल प्राप्त कर सकेंगे।
किन चीज़ों से होगी खेती
गौमूत्र, गोबर, वर्मी कम्पोस्ट, नीम की खली, जीवामृत, बीजामृत और हरी खाद जैसे प्राकृतिक संसाधनों से खेत तैयार होंगे। इससे न केवल फसल की गुणवत्ता बेहतर होगी, बल्कि उपभोक्ताओं को रसायन मुक्त और स्वास्थ्यवर्धक अनाज भी मिलेगा।
कृषि सखियों का विशेष प्रशिक्षण
चयनित कृषि सखियों को प्रदेश और जिला स्तर पर प्रशिक्षण देकर जैविक खाद बनाने, बीज शोधन, प्राकृतिक कीट प्रबंधन और मिट्टी सुधार की तकनीकें सिखाई जा रही हैं। प्रशिक्षण के बाद ये कृषि सखियां गांव-गांव जाकर किसानों को प्रशिक्षित करेंगी, कार्यशालाएं चलाएंगी और खेतों में प्रैक्टिकल डेमो भी करेंगी।
जिले को मिलेगी नई पहचान
डीसी एनआरएलएम केडी गोस्वामी ने कहा कि इस योजना से जिले को जैविक खेती में आदर्श जिला बनाने में मदद मिलेगी। साथ ही, गांवों में महिलाओं की आर्थिक भागीदारी बढ़ेगी और सतत ग्रामीण विकास को मजबूती मिलेगी।
जिला प्रशासन को उम्मीद है कि यह योजना न केवल किसानों की आय में इज़ाफा करेगी, बल्कि मिट्टी की सेहत भी सुधारेगी और रसायनों के दुष्प्रभाव को कम कर जिले को एक नई पहचान दिलाएगी।