

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार एक बार फिर विपक्ष के निशाने पर आ गई है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार एक बार फिर विपक्ष के निशाने पर आ गई है। इस बार मामला है स्टांप एवं पंजीयन विभाग में बड़े पैमाने पर हुए तबादलों और उनमें कथित अनियमितताओं का। जहां एक ओर इस मुद्दे पर बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की है, वहीं दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी तीखा तंज कसते हुए पूरे मामले को “वसूली तंत्र” से जोड़ा है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, मायावती ने मंगलवार को अपने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट कर योगी सरकार पर भ्रष्टाचार के खिलाफ ढिलाई बरतने का आरोप लगाया। उन्होंने लिखा, “देश के अधिकतर प्रदेशों की तरह यूपी में भी हर स्तर पर सरकारी कार्यकलापों के साथ ही विभिन्न विभागों में भ्रष्टाचार और हिस्सेदारी के आरोपों से घिरे तबादलों की अनवरत आम चर्चा व खबरों का माननीय मुख्यमंत्री को कड़ा संज्ञान लेकर ना सिर्फ भ्रष्टाचार निरोधक विजिलेंस विभाग आदि को सक्रिय करना बल्कि समयबद्ध एसआईटी का भी गठन करके व्यवस्था में आवश्यक सुधार करना जन व देशहित में जरूरी है।”
उन्होंने आगे यह भी कहा कि “सरकारी भ्रष्टाचार व अफसरों की द्वेषपूर्ण मनमानी पर यूपी सीएम जितना जल्द सख़्त क़दम उठाए उतना बेहतर।” मायावती की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब स्टांप एवं पंजीयन विभाग में हाल ही में हुए तबादलों को लेकर शासन स्तर पर भारी असंतोष और आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है।
इस विवाद में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी आग में घी डालते हुए सरकार की कार्यप्रणाली पर तीखा कटाक्ष किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “जिसको ट्रांसफ़र में नहीं मिला हिस्सा वही राज खोलके सुना रहा है किस्सा... सच तो ये है कि कई मंत्रियों ने ट्रांसफ़र की फ़ाइल की ‘फ़ीस’ नहीं मिलने पर फ़ाइल लौटा दी है। सुना तो ये था कि इंजन ईंधन की मांग करता है पर यहां तो डिब्बा तक अपने ईंधन के जुगाड़ में लगा है।”
अखिलेश के इस बयान ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। उन्होंने सीधे तौर पर यह आरोप लगाया है कि तबादलों के नाम पर पैसे वसूले जा रहे हैं और मंत्री अपने-अपने हिस्से की मांग कर रहे हैं।
विवाद गहराने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तत्काल एक्शन लेते हुए सभी तबादलों पर रोक लगा दी है और जांच के आदेश दे दिए हैं। सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री ने संबंधित विभाग से स्पष्ट रिपोर्ट तलब की है और दोषियों पर सख्त कार्रवाई के संकेत भी दिए हैं। हालांकि विपक्ष इसे एक "कवर-अप ऑपरेशन" बता रहा है और मांग कर रहा है कि पूरे तबादला घोटाले की निष्पक्ष जांच कराई जाए।
स्टांप एवं पंजीयन विभाग में तबादलों को लेकर उठा विवाद अब योगी सरकार के लिए सियासी संकट का कारण बनता जा रहा है। एक तरफ जहां विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है, वहीं सरकार को अपनी साख बचाने के लिए सख्त और पारदर्शी कदम उठाने होंगे। अब देखना होगा कि योगी सरकार इस घमासान से कैसे निपटती है।