फिर एक बार अपने बयान से सुर्खियों में आए कथावाचक अनिरुद्धाचार्य, जानिए इस बार लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर क्या बोले

कथावाचक अनिरुद्धाचार्य ने एक धार्मिक कथा के दौरान लिव-इन रिलेशनशिप और स्त्री आचरण पर विवादास्पद टिप्पणियां कीं। उन्होंने कहा कि आज के समाज में सत्य बोलना अपराध बन गया है, और जो सत्य कहे, उसी का विरोध होता है। उनके बयान ने सामाजिक मंचों पर तीखी बहस छेड़ दी है।

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 1 August 2025, 3:48 PM IST
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Lucknow: धार्मिक मंचों पर कथावाचन करते हुए अकसर सामाजिक विषयों पर टिप्पणी करने वाले कथावाचकों के बयानों से विवाद पैदा हो जाते हैं। ऐसा ही ताजा मामला कथावाचक अनिरुद्धाचार्य से जुड़ा है, जिन्होंने हाल ही में एक कथा के दौरान लिव-इन रिलेशनशिप और महिला चरित्र को लेकर बयान दिए जो कई वर्गों में आलोचना का कारण बने हैं।

अनिरुद्धाचार्य ने कहा कि "कलयुग में आप वैश्या को वैश्या नहीं कह सकते। वह चाहती है कि उसे सती-सावित्री कहा जाए।" उनके मुताबिक, समाज में आजकल सत्य को सुनना पसंद नहीं किया जाता और जो भी सामाजिक सत्य बोले, उसे विरोध का सामना करना पड़ता है। उन्होंने इस बात पर दुख जताया कि धार्मिक या पारंपरिक मूल्यों की बात करने पर उन्हें ‘पुराना सोच’ या ‘कट्टरपंथी’ करार दिया जाता है।

उन्होंने कथा में सवाल किया, "क्या आप अपने बेटे के लिए ऐसी बहू चाहेंगे जो लिव-इन में रहकर आए हो?" उन्होंने इसे समाज की सोच पर प्रश्न चिन्ह के रूप में प्रस्तुत किया और कहा कि सत्य कहने पर लोगों का विरोध मिलना इस युग की पहचान बन चुका है।

अनिरुद्धाचार्य ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए यह भी कहा कि "नारी का सम्मान हमारी संस्कृति का हिस्सा है, लेकिन समाज को यह तय करना होगा कि सम्मान किन मूल्यों के आधार पर दिया जाए। यदि कोई स्त्री सती-सावित्री के आचरण में हो, तो उसे देवी माना जाना चाहिए। पर यदि कोई केवल बाहरी दिखावे में देवी कहलाना चाहती है, तो यह समाज के साथ धोखा है।"

उन्होंने राम, सीता, राधा, पार्वती, लक्ष्मी जैसे धार्मिक उदाहरणों का उल्लेख करते हुए कहा कि हर देवता के साथ एक पूजनीय देवी का स्थान है, और यह स्थान केवल आचरण की पवित्रता से मिला है।

हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि "हर स्त्री नारी है, और समाज में समानता का भाव भी जरूरी है। लेकिन समानता का अर्थ यह नहीं कि सती और असंयमित जीवन जीने वाली स्त्री को एक ही तराजू में तौला जाए।" इस पर उन्होंने सूर्पणखा और सीता के चरित्र का तुलनात्मक उदाहरण दिया।

कथावाचक के इन बयानों को लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। कुछ लोग इसे "सत्य की बेबाकी" कह रहे हैं तो कुछ इसे "महिलाओं के खिलाफ पूर्वग्रहपूर्ण सोच" मान रहे हैं। वहीं, कई धार्मिक अनुयायियों ने उनके पक्ष में खड़े होकर यह कहा है कि अनिरुद्धाचार्य ने केवल समाज की असलियत को सामने रखा है।

फिलहाल, यह बयान चर्चा में है, और आने वाले दिनों में इस पर धार्मिक एवं सामाजिक नेताओं की प्रतिक्रियाएं सामने आ सकती हैं।

Location : 
  • Lucknow

Published : 
  • 1 August 2025, 3:48 PM IST

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