हिंदी
महराजगंज का ऐतिहासिक कस्बा लक्ष्मीपुर आज संकरी सड़कों, जाम, स्वास्थ्य और नगर पंचायत दर्जे जैसी समस्याओं से जूझ रहा है। डाइनामाइट न्यूज़ से बातचीत में स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने शासन से विकास की ठोस पहल की मांग की है।
महराजगंज
Maharajganj: महराजगंज जनपद का ऐतिहासिक कस्बा लक्ष्मीपुर, जो भारत-नेपाल सीमा से सटे नौतनवा तहसील में स्थित है, आज भी विकास की राह ताक रहा है। करीब दस हजार की आबादी वाले इस प्राचीन बाजार की पहचान कभी क्षेत्रीय व्यापार और ऐतिहासिक विरासत से थी, लेकिन आज यह कस्बा उपेक्षा का प्रतीक बन चुका है। साल 2025 के अंतिम दिनों में डाइनामाइट न्यूज़ ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों और नागरिकों से संवाद कर इस उपेक्षा के कारणों को जानने की कोशिश की।
कुषाण काल से जुड़ा है लक्ष्मीपुर का गौरवशाली अतीत
लक्ष्मीपुर क्षेत्र का इतिहास अत्यंत समृद्ध रहा है। पुरातत्व विभाग को ब्लॉक क्षेत्र के देवदह (बनरसिंहा कला) से कुषाण कालीन साक्ष्य मिले हैं, जो इस इलाके की प्राचीनता को प्रमाणित करते हैं। इसके बावजूद ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण और पर्यटन विकास की दिशा में अब तक कोई ठोस पहल नहीं की गई।
संकरी सड़क बनी विकास की सबसे बड़ी बाधा
स्थानीय जनप्रतिनिधियों तजेंद्रपाल उर्फ गोल्डी सिंह, दिनेश त्रिपाठी, अमित सिंह, अजीजुल्ला खान सहित अन्य लोगों ने बताया कि कस्बे के मुख्य बाजार की संकरी सड़क सबसे बड़ी समस्या है। आए दिन जाम की स्थिति बनी रहती है, जिससे एंबुलेंस तक घंटों फंसी रहती हैं। लोगों ने बाजार चौड़ीकरण या बाईपास निर्माण की पुरजोर मांग की है।
जाम के डर से ग्राहक कर रहे हैं बाजार से दूरी
स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि मुख्य मार्ग इतना संकरा है कि ग्राहकों को बाइक खड़ी करने तक की जगह नहीं मिलती। जाम से बचने के लिए लोग अन्य चौराहों पर खरीदारी करने चले जाते हैं, जिससे लक्ष्मीपुर का बाजार धीरे-धीरे वीरान होता जा रहा है।
विधानसभा दर्जा खत्म होने से थमा विकास
दिनेश त्रिपाठी ने बताया कि कभी लक्ष्मीपुर खुद एक विधानसभा क्षेत्र था, लेकिन इसे हटाकर नौतनवा में शामिल कर दिया गया। इसके बाद से कस्बे का विकास ठप हो गया। पहले ठेकेदारी प्रथा के दौरान लक्ष्मीपुर लकड़ी व्यापार का बड़ा केंद्र था, लेकिन वन निगम बनने के बाद यह व्यवसाय भी समाप्त हो गया।
म्यूजियम बने तो पर्यटन से बदले तस्वीर
अमित सिंह और दिनेश त्रिपाठी ने सुझाव दिया कि वन क्षेत्र में बंद पड़ी ट्रामवे रेल और अन्य ऐतिहासिक अवशेषों को संरक्षित कर म्यूजियम बनाया जाए। इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर मिल सकते हैं।
नगर पंचायत का दर्जा अब भी सपना
जनप्रतिनिधि गोल्डी सिंह ने बताया कि लक्ष्मीपुर में ब्लॉक मुख्यालय, एसबीआई बैंक, पोस्ट ऑफिस, रेलवे स्टेशन और डिग्री कॉलेज जैसी सुविधाएं मौजूद हैं, फिर भी नगर पंचायत का दर्जा नहीं मिला। वर्ष 2021 में इसकी मांग उठी थी, लेकिन अब तक कोई परिणाम नहीं निकला।
जमीन का बैनामा कराने के नाम पर 13.90 लाख की ठगी, गोरखपुर पुलिस ने शातिर आरोपी को दबोचा
स्वास्थ्य सेवाओं में भारी कमी
लक्ष्मीपुर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर आसपास के दर्जनों गांव निर्भर हैं, लेकिन बाल रोग विशेषज्ञ और महिला डॉक्टर की कमी गंभीर समस्या बनी हुई है। अल्ट्रासाउंड मशीन और बेहतर संपर्क मार्ग की भी मांग उठाई गई है।
रेल और पेयजल बनी आम जनता की पीड़ा
लक्ष्मीपुर स्टेशन गोरखपुर-नौतनवा रेल मार्ग पर स्थित है, लेकिन बड़ी रेल लाइन बनने के बाद ट्रेनों की समयबद्धता खत्म हो गई। वहीं हर घर जल मिशन के तहत पाइपलाइन बिछने के बावजूद अधिकांश गांवों में पानी की आपूर्ति शुरू नहीं हो सकी, जिससे लोग दूषित पानी पीने को मजबूर हैं।
नए साल से उम्मीद, शासन से विकास की आस
स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि वर्ष 2026 लक्ष्मीपुर के लिए विकास की नई शुरुआत लेकर आएगा। जनता चाहती है कि शासन-प्रशासन इस ऐतिहासिक कस्बे की पीड़ा को समझे और इसे फिर से उसकी पुरानी पहचान दिलाए।