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एसटीएफ को पिछले कुछ दिनों से लगातार इनपुट मिल रहा था कि कई डमी मेडिकल फर्मों और गोदामों के नाम पर फैंसीडिल कफ सिरप उठाया जा रहा है। पूछताछ में आरोपियों ने कबूल किया कि फैंसीडिल कफ सिरप का खेल सबसे ज्यादा फायदे वाला होता है।
यूपी एसटीएफ ने दो को गिरफ्तार किया
Lucknow: यूपी में नशे वाली दवाओं के अवैध व्यापार पर लगातार कार्रवाई चल रही है। फैंसीडिल कफ सिरप की सप्लाई करने वाले नेटवर्क को तोड़ा जा रहा है। यूपी एसटीएफ ने बीती रात दो ऐसे युवकों को गिरफ्तार किया है। ये आरोपी कई सालों से नशे वाली दवाओं की सप्लाई चेन को संभालते थे और यूपी, बिहार, झारखंड से लेकर पश्चिम बंगाल तक का नेटवर्क चलाते थे। पकड़े गए आरोपियों की पहचान विभास शर्मा और शुभम शर्मा के रूप में हुई है। यह दोनों आरोपी यूपी के सहारनपुर के रहने वाले है। एसटीएफ के एक्शन के बाद दवाई सप्लाई करने वाले माफियाओं में हड़कम मंच गया है।
एसटीएफ को पिछले कुछ दिनों से लगातार इनपुट मिल रहा था कि कई डमी मेडिकल फर्मों और गोदामों के नाम पर फैंसीडिल कफ सिरप उठाया जा रहा है और फिर उसका रिकॉर्ड बदलकर उसे दूसरे राज्यों में भेज दिया जाता है। पूरा रैकेट फर्जी बिलिंग, डमी कंपनियों, नकली मार्केटिंग एजेंट और सेटिंग में शामिल सप्लाई पॉइंट के जरिए चलता है। जांच के दौरान एसटीएफ को कई ऐसे नाम मिले। वह असल में मेडिकल स्टोर या थोक व्यापारी नहीं थे लेकिन उनके नाम पर लाखों रुपये की नशे वाली दवा खरीदी जा रही थी। इसी जाल को पकड़ने के लिए एसटीएफ ने काफी दिनों तक लोकेशन ट्रैकिंग और गोपनीय निगरानी की।
दोनों आरोपियों ने हिरासत में STF को बताया कि सबसे पहले वे TH-Tracking दवा कंपनी में काम करते थे। जहां से नशे वाली दवाओं की सप्लाई चेन की पूरी जानकारी मिल गई थी। इसी दौरान इन्होंने अपने जान-पहचान वालों के नाम पर डमी फर्में बनानी शुरू की। किसी फर्म का पता हरदोई में दिखाया जाता था। किसी का लखनऊ में और किसी का उन्नाव में। ये फर्में सिर्फ कागजों पर मौजूद थी। असल में उनका कोई दुकान या दफ्तर नहीं था। इन डमी फर्मों की मदद से आरोपी फैंसीडिल कफ सिरप और कोडीन सीरप की बड़ी खेप फर्जी बिल पर उठाते थे और फिर उसे बिना कागज वाले ट्रकों में लोड कराकर बिहार और पश्चिम बंगाल की तरफ भेज देते थे।
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पूछताछ में आरोपियों ने कबूल किया कि फैंसीडिल कफ सिरप का खेल सबसे ज्यादा फायदे वाला होता है क्योंकि इसके 100ml के एक-एक बोतल को नशे के लिए इस्तेमाल करने वाले लोग भारी दाम पर खरीदते हैं। इन बोतलों को पहले कानूनी स्टॉक में दिखाया जाता और फिर पुराना माल निकासी दिखाकर उन्हें काले बाजार में उतार दिया जाता था। बिहार और बंगाल में इनके ग्राहक पहले से बने हुए थे। ट्रकों और पिकअप गाड़ियों के जरिए माल रिसीव करते थे। वहीं से माल बांग्लादेश की तरफ भी भेजा जाता था।
एसटीएफ को 31 तरह के दस्तावेज, कई मोबाइल फोन, फर्जी फर्मों की लिस्ट और मेडिकल स्टोरों के नाम मिले। जिनके जरिए यह सप्लाई चेन चलती थी। STF के रिकॉर्ड में यह गैंग कम से कम 65 फर्जी मेडिकल फर्मों से जुड़ा हुआ था। जिनमें से कई का लेनदेन केवल कागजों पर ही था। इसके अलावा विभास और शुभम ने कई कंपनियों को भी फर्जी बिलिंग के जरिए चूना लगाया और फैंसीडिल सिरप समेत कई कोडीन वाली दवाओं का करोड़ों रुपये का माल गैरकानूनी तरीके से बाजार में डंप किया।