

रायबरेली का एक श्रमिक जो ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान द्वारा की गई गोलीबारी में घायल हुआ था, इलाज के अभाव में तीन महीने बाद चल बसा। उसकी पत्नी ने सरकारी तंत्र पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है। इस मौत ने सरकार की संवेदनशीलता और जवाबदेही पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
ऑपरेशन सिंदूर में घायल श्रमिक की मौत
Raebareli: भारत द्वारा मई माह में चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की ओर से की गई जवाबी गोलीबारी अब भी आम नागरिकों के जीवन पर कहर बरपा रही है। इसी क्रम में रायबरेली जिले के रहने वाले एक श्रमिक सोहनलाल की तीन महीने बाद मौत हो गई है। वह जम्मू-कश्मीर के पास एक भट्ठे पर काम कर रहा था और पाकिस्तान की गोलाबारी में गंभीर रूप से घायल हो गया था।
मृतक श्रमिक की पत्नी रेखा ने अपनी पीड़ा साझा करते हुए बताया कि घटना के बाद से वह अपने पति का इलाज कराने के लिए प्रशासनिक दफ्तरों और अधिकारियों के चक्कर लगाती रही, लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिली। उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि मैं अपने पति को बचाने के लिए हर दरवाज़े पर गई, पर किसी ने नहीं सुनी। इलाज के बिना मेरे पति दर्द से तड़प-तड़प कर मर गए। अब घर चलाने वाला कोई नहीं बचा। तीन बच्चों के साथ मैं अकेली रह गई हूँ। रेखा ने यह भी आरोप लगाया कि घायल श्रमिकों की सुध लेने न तो कोई अधिकारी आया, न ही कोई जनप्रतिनिधि। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी राष्ट्रीय घटना में आम नागरिक घायल होता है और उसके बाद भी सरकार की चुप्पी सवाल खड़े करती है।
इस संबंध में रायबरेली के एसडीएम सत्येंद्र कुमार सिंह ने मीडिया से बातचीत में बताया कि मृतक श्रमिक के परिजनों को हर संभव सरकारी सहायता दी जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले को प्राथमिकता से लेकर राज्य सरकार और केंद्र को रिपोर्ट भेजी जाएगी, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं में पीड़ित परिवारों को उचित मुआवज़ा और सहयोग मिल सके।
आपको बता दें कि भारत सरकार ने 7 मई 2025 को "ऑपरेशन सिंदूर" नामक एक बड़ा सैन्य अभियान शुरू किया था। यह ऑपरेशन 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में किया गया था, जिसमें 26 निर्दोष नागरिक, जिनमें अधिकांश पर्यटक थे, मारे गए थे। ऑपरेशन सिंदूर एक सुनियोजित और साहसिक सैन्य कार्रवाई थी, जिसमें भारत ने सीमा पार जाकर पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POJK) में स्थित आतंकियों के ठिकानों को निशाना बनाया। इस ऑपरेशन में भारत ने लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिज्बुल मुजाहिदीन के कम से कम 9 आतंकी लॉन्चपैड्स को नष्ट कर दिया था।